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क्या है पर्युषण पर्व ? जानिए इसका महत्व

जैन कैलेंडर के मुताबिक, श्वेतांबर जैन समुदाय के पर्युषण महापर्व मंगलवार, 12 सितंबर 2023 से आरंभ हो गए हैं. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, पर्युषण में उपासना ही उपासना होती है. आत्मदर्शन से परमात्मा दर्शन का यह पर्व विशिष्ट भाव लिए होता हैं, इस उपासना अवधि में क्षमा धारण करके ज्ञान, दर्शन, चारित्र्य एवं सम्यक तप की उपासना में प्रत्येक शख्स धार्मिक भावनाओं ओतप्रोत होते है.

जैन संस्कृति का महापर्व पर्युषण प्रारंभ होने से जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाज के मंदिरों व उपाश्रयों में चहल-पहल बढ़ गई है. इसके तहत निरंतर 8 दिनों तक तप-तपस्याओं के अतिरिक्त अनेक धार्मिक समारोह भी होंगे. इसके साथ ही रंगबिरंगी विद्युत रोशनी की विशेष सजावट से मंदिरों की आभा बढ़ जाएगी. इस मौके पर मंदिरों में प्रतिष्ठित गुरु भगवंतों की सुंदर अंगरचना की जाएगी. प्रतिदिन रात्रि महाआरती होगी. इन दिनों प्रातः-शाम सामूहिक प्रतिक्रमण, भक्तामर पाठ, स्नात्र पूजा एवं स्वाध्याय के कार्यक्रम होंगे. आत्मा की शुद्धि का यह महापर्व 8 दिवस तौर पर मनाया जाता है तथा इस वक़्त तपस्या ही तपस्या होती है. प्रत्याख्यान, प्रतिक्रमण एवं आराधना के भाव ही होते हैं. इसमें मतभेद, ईर्ष्या, कलह एवं अहं का भाव के लिए किंचित मात्र भी स्थान नहीं होता है.

इन दिनों मन शुद्धि के साथ ही तप-त्याग की महानता भी होती है. पर्युषण धर्म जागरण का महापर्व है. इसमें क्षमापना, क्षमा करना एवं क्षमा मांगना निहित है. पर्व के आखिरी दिवस संवत्सरी महापर्व पर धर्म जागृति का भाव रखकर 8वें दिन कषायों की शांति के लिए क्षमा को धारण करते हुए चिंतन किया जाता है और ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की साधना को अंगिकार करते हुए सभी से क्षमायाचना की जाती है. बता दें कि इस बार संवत्सरी पर्व 20 सितंबर 2023, दिन बुधवार को मनाया जाएगा. आपको बता दें कि दिगंबर जैन समुदाय का विशेष महापर्व ‘दसलक्षण’ यानी पर्युषण पर्व का आरम्भ 19 सितंबर 2023 से होगी और इसका समापन 28 सितंबर को होगा. तथा क्षमावाणी पर्व 29 सितंबर को मनाया जाएगा.

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