गणेश चतुर्थी आज घर-घर विराजेंगे ऋद्धि-सिद्धि के दाता गणपति
शुभ कार्यों के अधिष्ठाता, विद्या, बुद्धि, विवेक के गणाधिपति भगवान गणपति 19 सितंबर को घर-घर में विराजमान होंगे. उनके स्वागत की तैयारी पूरे देश में हो रही है. गणपति म्हारे घर पधारो… आह्वान के साथ दिवाली की तरह यह पर्व लोकपर्व में परिवर्तित हो गया है.
10 दिन स्थापना के पीछे मान्यता
कहा जाता है कि महर्षि व्यास जिस गति से सोच रहे थे, उस गति से लिख नहीं पा रहे थे. तब उन्होंने गणेश जी का आह्वान किया. मान्यता है कि यह महाभाष्य 10 दिन में गणेश जी ने पूरा कर दिया. इस तरह उनको पहला आशुलेखक भी माना जाता है. इस मान्यता से भी स्थापना जुड़ी है. वैसे लोग 5 और 7 दिन के लिए भी गणेश स्थापना करते हैं.
कैसे करें मूर्ति स्थापना
● मूर्ति की स्थापना उत्तर दिशा में करना श्रेष्ठ है
● चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मूर्ति स्थापित करें
● पीला जनेऊ, पीले पुष्प के साथ मोदक (लड्डू), नारियल अर्पित करें
● दूर्वा, गुलाब के पुष्प से पूजन करें और पंचमेवा, ऋतुफल अर्पित करें
● ऊं गं गणपतये नम मंत्र का जाप करें, तीनों काल आरती करें
श्री गणेश उत्सव 19 से 28 सितम्बर
गणेश उत्सव पूर्ण होने पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन मुख्य रूप से अनंत चतुर्दशी को ही किया जाता है. मुख्य विसर्जन 28 सितंबर अनंत चतुर्दशी को ही किया जाएगा. स्थानीय परंपरा के अनुसार तीन, पांच या सात दिन के बाद भी गणेश विसर्जन करने की परंपरा है.
● वृश्चिक स्थिर लग्न- प्रात 1040 से 1230 बजे तक
● शुभ चौघडिया- दोपहर 1215 से 02 बजे तक
● अभिजीत मुहूर्त- 1150 से 1240 बजे तक
गौरीपुत्र गणेशजी का पहला नाम विनायक
● गौरीपुत्र गणेशजी का पहला नाम विनायक है. बाद में हाथी की सूंड के बाद वह गणेश और गणों का नेतृत्व करने के बाद गणपति कहलाए गए
● अपने माता-पिता (शिव-पार्वती) की सेवा करने और उनको ही तीर्थ मानने के कारण गणपति को अग्रणी देव की पदवी मिली, हर शुभ कार्य उनके ही आह्वान और स्वागत से प्रारंभ होते हैं
● वह माता गौरी की शक्ति पुंज हैं. उनकी ही शक्ति से ही भगवान गणपति का जन्म हुआ
● वह विवेक और बुद्धि के देव हैं
● भगवान विश्वकर्मा जी की पुत्रियां ऋद्धि-सिद्धि उनकी पत्नी हैं