वाशिंगटन . नींद की कमी से दिमाग में प्रोटेक्टिव प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है. इससे दिमाग ‘भूखा’ रह जाता है. मस्तिष्क के याददाश्त वाले हिस्से हिप्पोकैंपस को नुकसान पहुंचता है. फिर डिमेंशिया और अल्जाइमर हो सकता है. दरअसल, प्रोटेक्टिव प्रोटीन अधिक सोचने पर मस्तिष्क पर पड़ने वाले असर को कम करने की जिम्मेदारी संभालता है. विज्ञान पत्रिका प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, नींद पूरी नहीं होने से दिमाग में होने बाले बदलावों को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों पर प्रयोग किया. इसके लिए चूहों को दो दिन तक सोने नहीं दिया गया. इसके बाद नई चींजों को याद रखने और भूलभुलैया जैसे खेलों से उनकी क्षमता को जांचा गया. शोधार्थियों ने इसके बाद चूहों के दिमाग में याददाश्त वाले हिस्से हिप्पोकैम्पी (इंसानों के दिमाग का हिप्पोकैंपस कहलाता है) में बनने वाला प्रोटीन निकाला और उन प्रोटीन की पहचान की जिनमें बदलाव हुए. इसके बाद उन्होंने इस डाटा को पूरी नींद लेने वाले चूहों के प्रोटीन से तुलना की.