गलत तरीके से बीमा पॉलिसी लेने वालों का सिबिल स्कोर अब खराब हो सकता है. सरकार बैंकों और अन्य वित्तीय क्षेत्रों की तर्ज सामान्य बीमा क्षेत्र के लिए भी सिबिल स्कोर लागू करने की तैयारी कर रही है. फर्जी दावों के बढ़ते मामलों को देखते हुए बीमा कंपनियां इसकी लंबे समय से मांग कर रही हैं.
हाल ही में केंद्र सरकार के वित्तीय सेवा विभाग के साथ बीमा कंपनियों ने प्रतिनिधियों ने उच्चस्तरीय बैठक की थी. बताया जा रहा है कि इसमें वाहन और जीवन समेत अन्य बीमा पॉलिसी के लिए सिबिल स्कोर वाला मॉडल लाने पर चर्चा हुई.
बीमा कंपनियों का कहना है कि इसके लागू होने से बीमा दावों के निपटारों के साथ ही कंपनी की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी. फर्जी बीमा दावों को रोकना बहुत जरूरी है, जिससे सभी को फायदा होगा.
कितना स्कोर प्रभावी
अभी बैंकिंग क्षेत्र में 750 से 900 सिबिल स्कोर को सबसे अच्छा माना जाता है. 900 के करीब जितना सिबिल स्कोर रहता है, बैंक उतनी आसानी से कर्ज दे देते हैं. 350 सिबिल स्कोर को खराब माना जाता है. माना जा रहा है कि बीमा क्षेत्र के लिए भी यही व्यवस्था लागू हो सकती है.
क्या होता है सिबिल स्कोर
सिबिल स्कोर अभी बैंकिंग क्षेत्र में इस्तेमाल होता है. यह वह पैमाना है, जो यह बताता है कि कोई ग्राहक समय पर कर्ज चुकाने में कितना सक्षम है. समय पर कर्ज चुकाने पर सिबिल स्कोर अच्छा रहता है. वहीं, कर्ज को समय पर नहीं चुकाने या ईएमआई भरने में देरी होने पर सिबिल स्कोर खराब हो जाता है.
यह स्कोर सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ साझा किया जाता है. इससे बैंक संबंधित ग्राहक को आगे कर्ज देने में हिचकते हैं. ग्राहक को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
फर्जी क्लेम के मामले बढ़े
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाहन और स्वास्थ्य बीमा में फर्जी दावे लगाने के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ग्राहक और ऑटो सर्विस केंद्र आपस में मिलीभगत कर फर्जी वाहन बीमा क्लेम ले रहे हैं. इससे बीमा कंपनियों को काफी नुकसान हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार, केवल स्वास्थ्य बीमा में नौ हजार करोड़ रुपये का फर्जी क्लेम करने का अनुमान है.
ऐसी होगी नई व्यवस्था
अभी तक गलत तरीके से बीमा पॉलिसी लेने पर संबंधित ग्राहक पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती है. इस क्षेत्र में सिबिल स्कोर लागू होने पर सभी बीमा कंपनियों के पास उस ग्राहक का पूरा ब्योरा उपलब्ध रहेगा. कंपनी उस ग्राहक को प्रतिबंधित भी कर सकती है. या पूरी छानबीन के बाद ऊंचे प्रीमियम और कड़ी शर्तों पर बीमा जारी कर सकती है.