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राम मंदिर का शिखर देख भक्त निहाल

अयोध्या. रामलला के साथ ही जन्मभूमि मंदिर के शिखर और कलश के दर्शन पाकर भक्त निहाल हो रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा से पहले एक हफ्ते की कड़ी मशक्कत के बाद कोलकाता व झारखंड के 60 से अधिक कलाकारों ने यह शिखर तैयार किया था. इसे फूलों से सजाया गया है.

दरअसल, राममंदिर के शिखर का निर्माण दूसरे चरण में होना है. पहले चरण में भूतल, प्रथम तल व सिंहद्वार का निर्माण किया गया है. इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने 31 दिसंबर 2023 की तारीख तय की थी. हालांकि इसके बाद भी निर्माण एजेंसी को दो हफ्ते का समय और लग गया. 15 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए साफ-सफाई शुरू होने पर काम दिया गया था. अब जल्द ही दूसरे चरण का काम शुरू होगा, जिसे इसी साल दिसंबर तक पूरा किया जाना है.

मंदिर परिसर में ही हुआ निर्माण : प्राण प्रतिष्ठा समारोह के ठीक पहले मंदिर की साज-सज्जा पर विमर्श के दौरान तय पाया गया कि शिखर के बिना मंदिर अधूरा दिख रहा है. फूलों व रंगबिरंगी रोशनी के बावजूद वैसा दृश्य नहीं बन रहा था, जो वर्तमान में है. इसलिए कोलकाता व झारखंड के दुर्गा पूजा के पंडाल विशेषज्ञ कलाकारों को बुलाया गया. मंदिर परिसर में ही 60 कारीगरों ने शिखर बनाने का काम शुरू किया. एक हफ्ते के अंदर बांस व कपड़े से शिखर का निर्माण किया और गर्भ गृह के ऊपर खूबसूरत शिखर की स्थापना कर दी गई. यह शिखर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

विग्रह देख अरुण योगी राज भी खाए धोखा

रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के पहले व बाद की तस्वीर इन दिनों खूब वायरल हो रही है. कहा जा रहा है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला ने अपना रूप बदल दिया. रामलला के अद्भुत मुस्कान वाले विग्रह का हर कोई कायल हो रहा है. दोनों ही तस्वीरों को साथ में लगाकर रामभक्त वायरल कर रहे हैं. उधर एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में रामलला का विग्रह बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगी राज ने भी कहा कि हमने जिस विग्रह को बनाया था, प्राण प्रतिष्ठा के दिन जब देखा तो लगा कि यह मेरा काम नहीं है. भगवान ने अंदर जाकर अलग रूप ले लिया.

पीताम्बरी में दिया दर्शन

दर्शनार्थियों को गुरुवार को भगवान का दर्शन पीताम्बरी परिधान में मिला. राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्रत्त्ी ने बताया कि हर दिन का शृंगार अलग-अलग रखने का विधान है. अलग-अलग दिनों के लिए परिधान के रंग भी अलग है.

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