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टोल टैक्स संग्रह में जर्मनी की तकनीक अपनाएंगे

नई दिल्ली. केंद्र सरकार टोल टैक्स वसूलने के लिए जीपीएस आधारित जर्मनी की तकनीक अपना सकती है. वर्तमान में जीपीएस और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान (एनपीआर) आधारित तकनीक के पायलट प्रोजेक्ट में तेजी से दौड़ते वाहनों को पहचानकर टोल कटने में चुनौतियां आ रही हैं. इसे देखते हुए संसद की एक स्थायी समिति ने यूरोपीय देश में सफल जीपीएस आधारित तकनीक को अपनाने का सुझाव दिया है. इस पर सरकार अमल कर सकती है.

वाईएसआर नेता विजय साई रेड्डी की अध्यक्षता वाली पर्यटन व परिवहन संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने गुरुवार को टोल प्लाजा प्रबंध संबंधित रिपोर्ट संसद में पेश की. इसमें सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि भविष्य में जीपीएस आधारित टोल संग्रह तकनीक और स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) पर विचार किया जा रहा है.

कुछ टोल पर एएनपीआर कैमरे लगाए गए इसके तहत कुछ टोल प्लाजा पर एएनपीआर कैमरे और रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवाइस रीडर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगाए गए हैं लेकिन यह प्रणाली तेज गति और प्रवर्तन में कटौती की चुनौतियों का सामना कर रही है. इसलिए बिना बाधा के टोल संग्रह के लिए मंत्रालय ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित तकनीक का विकल्प खोज रहा है. नई तकनीक के लिए मंत्रालय ने एक सलाहकार नियुक्त किया है जो एएनपीआर के साथ जीएनएसएस आधारित टोलिंग को एकीकृत करने की संभावना तलाशेगा.

यूरोपीय देशों से सहायता लेने का सुझाव दिया संसदीय समिति ने मंत्रालय को सुझाव दिया है कि उसे जर्मनी, बेल्जियम, बुल्गारिया आदि यूरोपीय देशों से सहायता लेनी चाहिए. जिन्होंने जीपीएस आधारित टोलिंग प्रणाली अपनाई है. हालांकि समिति ने यह भी चिंता जताई है कि इस तरह के कदम से रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं.

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