फैशनेबल टैटू बनवाने का शौक स्किन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में ले जा सकता है. इससे इंसान की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो सकती है.
54 नमूनों पर शोध अध्ययन में दावा किया गया है कि अमेरिका में टैटू बनवाने वाले 10 में से नौ लोगों के अंगों को क्षति पहुंच सकती है. न्यूयार्क में स्याही के 54 नमूने लिए गए जिसमें ऐसे कंपाउंड मौजूद थे जो उस पर लगे लेबल पर नहीं थे. जर्नल अनालिटिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने टैटू इंक बनाने वाली नौ अमेरिकी कंपनियों से नमूने लिए.
खतरनाक केमिकल स्याही कें पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल कंपाउंड से अंगों को नुकसान होता है, जिसमें किडनी नेक्रॉसिस भी है. इसके अलावा एक और केमिकल 2-फेनॉक्सीथानोल स्याही में होता है जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) जल्द ही इसकी मॉनिटरिंग शुरू करेगी. अध्ययन के प्रमुख डॉक्टर जॉन स्वर्क ने बताया, ‘स्याही निर्माता इसे अपनी प्रक्रिया की दोबारा जांचो के लिए इस्तेमाल करेंगे.’
प्रतिरोधक क्षमता पर भी डालता है असर
माइक्रोब को पनपने से रोकता है केमिकल
डॉक्टरों ने चेताया है कि टैटू बनाने वाली स्याही में मौजूद रसायनों से त्वचा का कैंसर जैसी घातक बीमारी होने की संभावना होती है. इससे लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है जो पूरे शरीर को फ्लूड पहुंचाने का काम करता है. यह सूजन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकती है, संक्रमण से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाएगी.
पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल टैटू की स्याही को जमाने के लिए किया जाता होगा. इससे टैटू बनाना आसान हो जाता होगा. 2-फेनॉक्सीइथेनॉल का इस्तेमाल भी कुछ स्याही में किया जाता है, संभव है कि इसे प्रिजर्वेटिव के तौर पर डाला जाता होगा. दूसरे शब्दों में बोतल खुलने के बाद इसमें माइक्रोब को पनपने से यह रोक सकता है.
रक्त प्रवाह से पूरे शरीर में फैलता है
टैटू बनाने के क्रम में अंग के भीतर स्याही डाली जाती है जो व्हाइट ब्लड सेल के मैक्रोफेज द्वारा अवशोषित की जा सकती है जिससे अंग पर बनाने के बाद यह अपनी जगह पर रहे. लेकिन कुछ मामलों में संभव है कि स्याही में मौजूद अशुद्धियां रक्त के प्रवाह में आ सकती है और यह पूरे शरीर में फैल जाएगी जिससे कई साइड इफेक्ट का खतरा है, यहां तक कि अंगों को क्षति भी पहुंच सकती है.