रायपुर: प्रदेश की देसी फसल प्रजातियों का किया जाएगा संरक्षण और विकास
रायपुर: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने छत्तीसगढ़ की देसी, पारंपरिक व विलुप्तप्राय फसल प्रजातियों के संरक्षण और विकास के लिए बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए कृषि विवि, एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी बीच अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ है. सोमवार को विवि के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल की उपस्थिति में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस समझौते के तहत छत्तीसगढ़ में विभिन्न फसलों की परंपरागत देसी किस्मों विशेषकर चावल की विलुप्त हो रही किस्मों का संरक्षण और विकास किया जाएगा. इस समझौते का उद्देश्य सामाजिक आर्थिक वर्गो में व्याप्त कुपोषण को दूर करना और खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराना भी है. बैठक में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा, निदेशक प्रक्षेत्र व बीज डॉ. एसएस टुटेजा समेत वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे.
कृषि जैव विविधता पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना: इस अवसर पर कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि राज्य में कृषि जैव विविधता पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के बीच जैव विविधता से जुड़े ज्ञान का आदान-प्रदान करना है. साथ ही जैव विविधता से विकसित उत्पादों का प्रसार और व्यवसायीकरण करना है.
एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी के कंट्री हेड डॉ. जेसी राणा ने कहा कि मौजूदा बीज प्रणाली के साथ किसानों के खेत और उपभोक्ताओं के बीच मौजूदा अंतर को भरने के लिए विभिन्न फसलों की पहचान की गई है और संभावित भूमि प्रजातियों के बाजार लिंकेज पर अधिक प्राथमिकता दी गई है. आईटीके को मिलेगी वैज्ञानिक मान्यता: पोषण संबंधी प्रोफाइलिंग डेटा को इन पारंपरिक भूमि प्रजातियों के प्रचलित स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान (आईटीके) के साथ जोडऩे से इन्हें आईटीके को वैज्ञानिक मान्यता मिलेगी. एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी एशिया के प्रबंध निदेशक डॉ. स्ट्रेफन वाइस ने कहा कि नया समझौता के तहत कर्मचारियों के आदान-प्रदान, कार्यशालाओं और प्रशिक्षणों के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय की क्षमता निर्माण और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
10 वर्षों के लिए आगे बढ़ाने का समझौता
इन तीनों संस्थाओं के मध्य गत 10 वर्षों से संचालित परियोजना को आगामी 10 वर्षों के लिए बढ़ाने के लिए कृषि विवि के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल के भारत के प्रतिनिधि डॉ. जेसी राणा ने हस्ताक्षर किए. उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के तहत गत 10 वर्षों में कोरिया, सरगुजा और धमतरी जिलों में तीन सामुदायिक बीज बैंक स्थापित किए गए हैं. धान की जीरा फूल और नगरी दुबराज प्रजातियों को जीआई टैग प्राप्त हुआ है और विभिन्न फसलों की अनेक विलुप्तप्राय परंपरागत किस्मों की पहचान कर उनके संरक्षण के लिए प्रयास किए गए हैं.