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वृंदावन: मंदिरों से लेकर घाट तक की करें यात्रा

वृंदावन तीर्थस्थल भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली के रूप में जाना जाता है. यहां भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रास रचाने के लिए आते थे. यहां के कण-कण में कृष्ण और राधा का प्रेम बसा हुआ है. घर-घर में मंदिर होने की वजह से वृंदावन को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. हर साल दुनियाभर से लाखों कृष्ण-भक्त यहां आते हैं. वृंदावन के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपना अधिकांश समय यहीं पर व्यतीत किया था.

जिस यमुना घाट पर भगवान कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र चुराए थे, वह ‘चीर घाट’ नाम से प्रसिद्ध है. यहां वृंदावन परिक्रमा की प्रथा प्राचीनकाल से चली आ रही है. परिक्रमा मार्ग शहर के बाहरी हिस्से में स्थित है. परिक्रमा मार्ग इस्कॉन मंदिर से प्रारंभ होता है. यहां से पूरे वृंदावन की परिक्रमा की जाती है. वृंदावन का निधिवन भी प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. इसे भगवान श्रीकृष्ण की महारासस्थली माना जाता है. कहा जाता है कि नृत्य-लीला और रासलीला के बाद राधा-कृष्ण यहां पर विश्राम किया करते थे. इस वन में एक मंदिर भी बना हुआ है जिसे रंगमहल के नाम से जाना जाता है. रंगमहल को राधा-कृष्ण का शयन कक्ष भी कहा जाता है. प्रत्येक रात्रि को यहां पर राधा-कृष्ण के लिए सेज सजाई जाती है.

देखें बांके बिहारी जी का मंदिर…

यहां बांकेबिहारी जी का मंदिर भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो रमणरेती पर स्थित है. यहां श्रीकृष्ण को ठाकुरजी के नाम से जानते हैं. यहां आने वाला हर श्रद्धालु इस जगह की यात्रा जरूर करता है. यहां स्थित गोविन्ददेवजी मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया था. जन्माष्टमी और होली पर इस मंदिर को सजाया जाता है. वृंदावन के अन्य पवित्र स्थलों में केशी घाट, गोपीनाथजी-जुगलकिशोरजी मंदिर, मदनमोहनजी-प्रेम मंदिर, मीराबाई, रंगनाथजी मंदिर आदि शामिल हैं.

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