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सुनीता विलियम्स की हुई इमरजेंसी तो का क्या होगा, स्पेस स्टेशन पर क्या हैं इंतजाम..

इन दिनों भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स काफी चर्चा में हैं. जून के महीने में एक हफ्ते के लिए अंतरिक्ष यात्रा पर गईं सुनीता विलियम्स अब वहां अटक गई हैं. 8 दिन का उनका मिशन करीब 8 महीने के मिशन में बदल चुका है. सुनीता और उनके साथी एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर को लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक गया बोइंग का पहला अंतरिक्ष यात्री मिशन ‘स्टारलाइनर’ धरती पर लौट चुका है. तकनीकी समस्या के चलते दोनों अंतरिक्ष यात्री स्टारलाइनर से वापस नहीं लौटे.

नासा ने दोनों को लाने के लिए स्पेसएक्स भेजने का फैसला लिया है. लेकिन स्पेसएक्स का प्रक्षेपण तय समय के मुताबिक हो नहीं पाया. सितंबर के अंत तक स्पेसएक्स को अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना हो जाना था, लेकिन अब यह डिले हो चुका है. ऐसे में सुनीता और वुल्मोर की वापसी के लिए फरवरी 2025 का समय तय हुआ है. सवाल यह है कि इतने लंबे समय तक सुनीता और विल्मोर कहां रहेंगे और क्या करेंगे? इसके अलावा अगर कोई इमरजेंसी हो गई तो फिर इन लोगों का क्या होगा? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब…

कहां रहेंगे सुनीता और विल्मोर

अगर आप अंतरिक्ष की खबरों में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको पता होगा कि नासा ने वहां एक अड्डा बना रखा है, जिसका नाम है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस). आसान भाषा में कहें तो कुछ-कुछ एयरपोर्ट जैसा, जहां ढेरों विमान टेक ऑफ और लैंडिंग करते हैं. हालांकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन इससे कहीं ज्यादा एडवांस, सुरक्षित और सुविधा संपन्न होता है. नासा के मुताबिक यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पिछले 25 साल से अंतरिक्ष में है 270 से ज्यादा अंतरिक्ष यात्री इसकी यात्रा कर चुके हैं. अब अगली फरवरी तक सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर का यही ठिकाना होगा.

क्या हैं सुरक्षा के इंतजाम

नासा का स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में सबसे बड़ा आर्टिफिशियल ऑब्जेक्ट है. हालांकि इसे इस तरह से बनाया गया है कि यह सभी तरह की इमरजेंसी को हैंडल कर सकता है. यहां पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग भी इसी तरह से होती है कि यह अलग-अलग हालात का सामना कर सकें. स्पेस स्टेशन में सब-कुछ ठीक ढंग से होता रहे इसके लिए जमीन पर नासा ने मिशन कंट्रोल सेंटर बना रखा है. यह अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में है, जिसका नाम जॉनसन स्पेस सेंटर है. यहां से आईएसएस में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों से लगातार संवाद होता रहता है. सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने बोइंग स्टारलाइनर में खराबी की बात इसी मिशन कंट्रोल को बताई थी. यहां मौजूद वैज्ञानिक स्पेस स्टेशन से जुड़ी सभी गतिविधियों पर नजर रखते हैं. इसके अलावा अंतरिक्ष में गिरने वाले कचरे या मीर स्पेस स्टेशन पर आग जैसी पूर्व की घटनाओं को देखते हुए भी एहतियात बरते जाते हैं.

ISS पर हैं ऐसी सुविधाएं

-इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर खुद का ऑक्सीजन जेनरेटिंग सिस्टम लगा हुआ है. यह कार्बन डाई ऑक्साइड से करीब 50 फीसदी ऑक्सीजन रीस्टोर कर लेता है.

-आईएसएस पर एक खास किस्म का रिसाइक्लिंग सिस्टम लगा हुआ है. यह यूरीन और पसीने की नमी को पीने के पानी में बदल देता है.

-इस स्पेस स्टेशन पर एस्ट्रोनॉट्स को डिहाइड्रेटेड और रेडी टू ईट खाना मिलता है. यह खानानास के स्पेस फूड सिस्टम लैबोरेटरी, ह्यूस्टन में तैयार होता है.

-इसके अलावा फिटनेस को ध्यान में रखते हुए एक्सरसाइज वगैरह करने के लिए खास किस्म की मशीनें भी इंस्टॉल की गई हैं.

अगर कोई इमरजेंसी हुई तो

अब सवाल उठता है कि अगर कोई इमरजेंसी हुई तो स्पेस स्टेशन में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों का क्या होगा? बता दें कि पहली बात तो मिशन कंट्रोल की टीम हर वक्त हर पल निगरानी करती रहती है. स्पेस स्टेशन में मौजूद लोग या यहां पर मौजूद टीम स्पेस स्टेशन से रियल टाइम कांटैक्ट कर सकती है. यह कुछ वैसा ही है जैसे इमरजेंसी में हम या आप किसी से फोन करके मदद मांग लें. बदतर से बदतर हालात के लिए भी तैयारी रखी जाती है. सबसे खास बात यह है कि इंटरनेशनल स्टेशन पर इस वक्त पांच स्पेसक्राफ्ट पार्क करके रखे गए हैं. इनमें सबसे लेटेस्ट रूस का स्पेसक्राफ्ट है जो 11 सितंबर 2024 को वहां पहुंचा है. इसके अलावा स्पेसएक्स ड्रैगन एंडेवर (क्रू-8 मिशन), नॉर्थटॉप ग्रुमैन रिसप्लाई शिप, सोयुज एमएल 25 क्रू शिप, प्रोग्रेस 88 और 89 रिसप्लाई शिप इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पार्क हैं. अगर कभी ऐसे हालात बने कि अंतरिक्ष यात्रियों को वहां निकलना पड़े तो इन स्पेसक्राफ्ट से उन्हें निकाला जा सकता है.

क्या करेंगे दोनों

यह भी सवाल उठता है कि आखिर इतने लंबे समय तक सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर स्पेस स्टेशन पर करेंगे क्या? नासा के मुताबिक यह दोनों बेहद अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं. कैप्टन विल्मोर नेवी से रिटायर्ड हैं. यह दोनों स्पेस स्टेशन में मौजूद अन्य एस्ट्रोनॉट्स के साथ स्टेशन की मरम्मत और मेंटेनेंस में लगे रहेंगे. इसके अलावा यह एक्सपेरिमेंट्स और रिचर्स से जुड़े काम भी करते रहेंगे. अब चूंकि दोनों को लंबे समय तक अंतरिक्ष में रुकना है, इसलिए सुनीता विलियम्स और बुच विलियम्स का शिड्यूल भी बदला गया है. नासा के मुताबिक उनकी फिटनेस के लिए एक्सरसाइज का शिड्यूल बढ़ाया गया है. इसके मुताबिक उन्हें हर रोज ढाई घंटे का एक्सरसाइज शिड्यूल फॉलो करना होगा. इसमें 60 मिनट की वेटलिफ्टिंग, 30 से 35 मिनट कार्डियो (रनिंग या साइक्लिंग) शामिल है. इसके अलावा पढ़ना और पॉडकॉस्ट सुनना भी उनके रूटीन में रहेगा.

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