
गर्म हवाओं और धूप की ज्यादा संगत लोगों की त्वचा की रंगत बिगाड़ रही है. इससे त्वचा काली पड़ने के साथ मोटी भी हो रही है. हाइड्रोओ वैक्सीनफॉर्म और फोटो एलर्जिक डर्माटोज के नाम से पहचानी जाने वाली इस बीमारी के मरीज पिछले साल गर्मी में बड़ी संख्या में एम्स में इलाज के लिए आए थे. इनकी संख्या करीब 20 थी. छह से आठ माह तक इलाज के बावजूद करीब तीन सौ मरीज अभी तक ठीक नहीं हुए हैं.
चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि पिछले साल हीट वेव 30 दिनों से ज्यादा रही. इसकी वजह से मरीजों की त्वचा काली होने के साथ काफी मोटी हो गई. आमतौर पर हाइड्रोओ वैक्सीनफार्म बीमारी रेगिस्तानी इलाके के लोगों में देखने को मिलती थी. मैदानी इलाकों में इस बीमारी का मिलना चिंताजनक है, क्योंकि यहां के लोगों की इम्युनिटी रेगिस्तानी इलाके के लोगों के मुकाबले कमजोर होती है. यही कारण है कि इनके इलाज में लंबा वक्त लग रहा है.
यह है चमड़ी मोटी होने का कारण
त्वचा की बाहरी परत में मेलेनिन कोशिका सबसे महत्वपूर्ण है. यही त्वचा को धूप से बचाकर रंग भरने का काम करती है, लेकिन जब धूप का असर शरीर पर ज्यादा पड़ने लगता है तो मेलेनिन त्वचा को काला कर देती है. इसके साथ ही चमड़ी भी मोटी होने लगती है.
ऐसे करें बचाव
डॉ. गुप्ता के अनुसार, तेज धूप में निकलें तो शरीर को कपड़ों सेे ढक लें. भरपूर पानी पीकर बाहर निकलें. त्वचा लाल हो और जलन हो तो डॉक्टर के पास जाएं.
गर्म हवाओं के प्रभाव में आने से भी मोटी और काली पड़ रही त्वचा, छह से आठ महीने में भी ठीक नहीं हो रहा रोग