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छत्तीसगढ़ के अफसरों का दावा; फर्जी डॉक्टर जॉन कैम ने बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में 9 महीने किया था काम

खुद को ब्रिटेन का कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जॉन कैम बताने वाले फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को लेकर छत्तीसगढ़ के अफसरों ने बड़ा दावा किया है. अफसरों का दावा है कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित अपोलो अस्पताल में फर्जी डॉ. जॉन कैम ने नौ महिने तक काम किया था. डॉ. जॉन कैम को फर्जी डॉक्टर के रूप में काम करने के आरोप में मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था.

छत्तीसगढ़ के अफसरों ने अब बिलासपुर के अपोलो अस्पताल प्रबंधन को नरेंद्र विक्रमादित्य यादव के बारे में सभी तरह की सूचनाएं मुहैया कराने का आदेश दिया है. दरअसल, बिलासपुर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जॉन कैम के उन दावों की जांच कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्होंने 2006 में छत्तीसगढ़ के पूर्व स्पीकर राजेंद्र प्रसाद शुक्ला का भी ऑपरेशन किया था. शुक्ला के बेटे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ऑपरेशन के 18 दिन बाद उनकी मौत हो गई थी.

बीते बुधवार को नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने दावा किया था कि उसने पूर्व स्पीकर राजेंद्र प्रसाद शुक्ला का भी इलाज किया था. यह मामला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया था.

CMHO ने अपोलो अस्पताल में मांगे इन सवालों के जवाब

बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रमोद तिवारी ने अपोलो अस्पताल को नोटिस भेजकर यादव के वहां रहने के बारे में कई सवाल पूछे हैं. नोटिस के जरिए सीएमएचओ ने यादव का नियुक्ति पत्र, अपोलो अस्पताल में उनकी नियुक्ति की अवधि, उनकी योग्यता, उनके द्वारा की गई सर्जरी की संख्या और सफल मानी गई सर्जरी, उनके खिलाफ प्राप्त शिकायतों की संख्या और अन्य प्रश्न पूछे गए हैं.

सीएमएचओ प्रमोद तिवारी ने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों ने नोटिस का जवाब तो दिया है, लेकिन मांगी गई सभी जानकारी नहीं दी है. उन्होंने कहा कि यादव जून 2006 में शामिल हुए और मार्च 2007 में चले गए. उनकी नियुक्ति चेन्नई में हुई थी और दस्तावेज वहीं रखे गए थे.

अस्पताल प्रशासन ने बताया ये भी कहा है कि इस तरह की जानकारी 5 से 10 साल तक रखी जाती है. अपोलो अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उस समय डिजिटल रिकॉर्ड नहीं रखे जाते थे. अस्पताल से कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व स्पीकर राजेंद्र प्रसाद शुक्ला केस लगभग 20 साल पुराना है, इसलिए उनसे संबंधित दस्तावेजों को ढूंढना चुनौतीपूर्ण काम होगा.

वहीं, प्रमोद तिवारी ने कहा, “अपोलो में शुक्ला के इलाज से संबंधित तथ्य एकत्र करने के लिए तथ्य-खोजी टीम को एक सप्ताह का समय दिया गया है. उन्होंने कहा, “अभी मामले की जांच करना मुश्किल है, लेकिन हम कोशिश करेंगे.”

नोटिस को लेकर टिप्पणी से अस्पताल प्रशासन का इनकार

अपोलो अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी देवेश गोपाल ने इंडियन एक्सप्रेस को नोटिस के बारे में पूछे जाने पर बताया कि अस्पताल अधिकारियों को जानकारी देने की बात स्वीकार की, लेकिन इस पर कोई टिप्पणी देने से इनकार किया. अस्पताल के अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस के बाद के कॉल और संदेशों का जवाब नहीं दिया.

स्पीकर के बेटे ने डॉक्टर जॉन कैम के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

ब्रिटेन के फर्जी डॉक्टर जॉन कैम (नरेंद्र विक्रमादित्य यादव) को 9 अप्रैल को मध्य प्रदेश में गिरफ्तार किया गया था. इस बात की सूचना मिलने के बाद  छत्तीसगढ़ के पूर्व स्पीकर राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के बेटे प्रदीप शुक्ला ने पुलिस से संपर्क किया और बताया कि यादव ने उनके पिता का ऑपरेशन किया था. प्रदीप शुक्ला अनुसार,  “राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की अगस्त 2006 में अपोलो अस्पताल में 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद मृत्यु हो गई थी. उनका इलाज डॉ. नरेंद्र यादव ने किया था.”

अब उनके बेटे प्रदीप ने पुलिस और जिला प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि मेरी शिकायत को एफआईआर के रूप में माना जाए और दोषी पाए जाने पर उन्हें और अस्पताल के अधिकारियों को सख्त सजा दी जाए. उन्होंने कहा, “अस्पताल प्रशासन ने सिस्टम का मजाक उड़ाया है. उन्होंने मेरे पिता के इलाज के लिए कई लाख रुपये लिए. उस समय यहां के मेडिकल एसोसिएशन ने मुझे बताया था कि वह धोखेबाज हैं, लेकिन उनका तबादला कर दिया गया.”

प्रदीप ने दावा किया है कि नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को मध्य प्रदेश के दमोह में मेडिकल योग्यता में जालसाजी कर दमोह के मिशन अस्पताल में नौकरी पाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जांचकर्ताओं के अनुसार उसने कथित तौर पर यूके स्थित कार्डियोलॉजिस्ट और प्रोफेसर जॉन कैम की पहचान हटाक अपना नाम डॉ. नरेंद्र जॉन कैम नाम रख लिया था.

बता दें कि मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही से सात मरीजों की मौत के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार ‘फर्जी’ हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम ने गुरुवार (17 अप्रैल) को कहा था कि वह एक ‘बड़ी साजिश’ का शिकार हुए हैं. उन्होंने यह दावा भी किया कि उनके सभी दस्तावेज असली हैं.

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