पाकिस्तान ने भारत के जल संसाधन मंत्रालय को लिखी चिट्ठी, कहा- सिंधु जलसंधि पर पुनर्विचार करे

सिंधु जल समझौता स्थगित करने का भारत का फैसला पाकिस्तान को भारी पड़ने लगा है. पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. जल शक्ति मंत्रालय ने नियमानुसार पत्र को विदेश मंत्रालय को भेज दिया है, जो सिंधु जल समझौता के लिए अधिकृत मंत्रालय है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस पर पुनर्विचार का सवाल ही नहीं उठता. भारत तीन नदियों के पानी का अपने लिए इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है. इस पर तुरंत काम भी शुरू हो गया है. इसके अलावा मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है.
80 फीसदी पानी मिलता था: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने तत्काल जो कड़े फैसले लिए थे, उनमें सबसे अहम सिंधु समझौता स्थगित करना था. इसके तहत पाक को सिंधु बेसिन की तीन प्रमुख नदियों सिंधु, झेलम और चेनाब का 80 फीसदी से ज्यादा पानी मिलता था. सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद भारत ने यह पानी रोक दिया था. साथ ही भारत के बांधों में पानी बढ़ने पर उसे बिना पूर्व सूचना के छोड़ना शुरू कर दिया था. इससे पाकिस्तान के हालात बिगड़ने लगे.
समझौते की बहाली के मूड में नहीं सरकार : भारत ने पाकिस्तान के डीजीएमओ की ओर से दिए गए संघर्ष विराम प्रस्ताव को भले ही स्वीकार कर लिया हो, लेकिन उस पर लगाए प्रतिबंध कायम रखे हैं. ऑपरेशन सिंदूर केवल स्थगित किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. इससे साफ है कि केंद्र सरकार फिलहाल सिंधु जल संधि बहाल करने के लिए तैयार नहीं है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि संधि को स्थगित करने के फैसले पर पुनर्विचार का सवाल ही नहीं उठता है.
आतंकी गतिविधियों के साथ पानी नहीं : विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने भी एक दिन पहले ही कहा था कि भारत तब तक सिंधु जल समझौता बहाल नहीं करेगा, जब तक पाक आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता. उन्होंने कहा था कि यह संधि सद्भावना और मित्रता की भावना में हुई थी,लेकिन पाक ने सीमा-पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इन सिद्धांतों को ताक पर रख दिया.