
केंद्र सरकार बैंक खाताधारकों की जमा राशि पर बीमा सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस पर अगले 6 महीने के भीतर फैसला लिया जा सकता है। इस मामले से जुड़े अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उनके मुताबिक, संशोधित बीमा सीमा के सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, अभी अंतिम निर्णय पर किसी तरह की सहमति नहीं बनी है लेकिन यह नई बीमा सीमा ₹10 लाख के भीतर हो सकती है। इसी के साथ कितने खाताधारकों को बीमा के दायरे में लाया जाएगा और सरकार की गारंटी की वास्तविक क्षमता क्या है, इसका भी आकलन किया जा रहा है। वर्तमान में, प्रत्येक जमाकर्ता को अधिकतम 5 लाख रुपये तक की जमा राशि पर बीमा सुरक्षा प्राप्त है।
इससे पहले इसी साल फरवरी में वित्तीय सेवाओं के सचिव एम नागराजू ने संकेत दिया था कि जमा बीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और मंत्रिमंडल द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद वित्त मंत्रालय इसे अधिसूचित कर देगा। यह कदम हाल ही में न्यू इंडिया सहकारी बैंक में सामने आए संकट के बाद उठाया जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 13 फरवरी को इस बैंक को नए ऋण जारी करने से रोक दिया और छह महीने के लिए जमा निकासी रोक दी थी। इसके बाद बैंक के बोर्ड को भंग कर एक प्रशासक नियुक्त किया था।
क्या-क्या शामिल : यह सीमा प्रति जमाकर्ता, प्रति बैंक लागू होती है। इसमें बचत खाता, सावधि जमा, चालू खाता और आवर्ती जमा जैसे सभी खाते शामिल हैं। यह बीमा मूलधन और ब्याज दोनों को कवर करता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी जमाकर्ता का 4.95 लाख मूलधन और 5,000 रुपये ब्याज है, तो बीमाकृत राशि 5 लाख तक
देश में जमा बीमा की शुरुआत 1962 में हुई थी और उस समय 1,500 रुपये की सीमा थी। यह 1976 में बढ़ाकर 20,000, 1980 में 30,000 और 1993 में 1 लाख रुपये की गई। फरवरी 2020 में इस सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया था, जो 1993 के बाद पहली बड़ी वृद्धि थी। यह कदम पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक संकट के बाद उठाया गया था।
90 दिन का प्रावधान
अगर कोई बैंक किसी वजह से दिवालिया होता है या मोरेटोरियम में चला जाता है तो 90 दिन में ग्राहक को उसका जमा पैसा मिलता है। प्रभावित बैंक को 45 दिन में डीआईसीजीसी को खाताधारकों का ब्योरा भेजना होता है। अगले 45 दिनों में वह खाताधारकों को रकम लौटाता है।
इस संस्था के पास है जिम्मेदारी
इसके लिए सरकार ने जमा बीमा एवं ऋण गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) की स्थापना की है, जो भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यह देश में सभी वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों में जमा राशि को 5 लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा प्रदान करती है। यानी कोई बैंक डूबता है तो उसके ग्राहक की पांच लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित रहेगी।