मौसम के बदलने से नींद प्रभावित होती है. गर्मी के मौसम में लोगों को आसानी से नींद नहीं आती. जबकि ठंड में लोगों को आसानी से नींद आ जाती है. अमेरिका में हुए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. इस अध्ययन को न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की ओर से किए गए अध्ययन में कहा गया है कि ठंड का मौसम जैसे ही खत्म होता है और दिन बड़े तथा रातें छोटी होने लगती हैं. इसे डे-लाइट सेविंग टाइम कहा जाता है.
इसी तरह जब गर्मी का मौसम खत्म होता तो रातें बड़ी और दिन छोटे होने लगते हैं. इसे स्टैंडर्ड टाइम कहा जाता है. वक्त जब डे-लाइट सेविंग टाइम से स्टैंडर्ड टाइम में बदलता है, लोगों को सोने में परेशानी होती हैं. लेकिन जब वक्त स्टैंडर्ड टाइम से डे-लाइट सेविंग टाइम में बदलता है, तो लोगों को सोने में दिक्कत नहीं होती है.
अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेंबर रॉन बी पोस्टुमा का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए नींद बेहद जरूरी होती है. ये काफी हद तक सर्कैडियन घड़ी से प्रभावित होती है. यह हमारे शरीर की गतिविधियों से नियंत्रित होती है. उन्होंने बताया कि मौसम की वजह से नींद में आने वाले बदलाव दो हफ्तों तक ही दिखते हैं. यह अध्ययन करीब 30,097 लोगों पर किया गया. इसमें लोगों से नींद से जुड़े सवाल किए गए.