छत्तीसगढ़

Kanker Naxalite Surrender: पांच लाख के इनामी नक्सली कमांडर ने किया आत्मसमर्पण

Kanker News ओडिशा बार्डर में सक्रिय रहे पांच लाख के इनामी नक्सली कमांडर ने पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसर्मपण किया है। इनामी नक्सली 15 साल से नक्सल संगठन में जुड़ा रहा। नक्सली जिले के काेयलीबेड़ा क्षेत्र के नक्सल प्रभावित गांव आलपरस निवासी है जो नक्सल संगठन में 2008 से सक्रिय था। नक्सल कमांडर कांकेर पुलिस के समक्ष आत्मसर्मपण किया जिसे पुर्नवास नीति के तहत प्रोत्साहन राशि 25 हजार रूपए दिया गया।

नक्सल संगठन को मजबूत करने की नक्सली नाकामयाब हो गई है। कांकेर में रविवार को नक्सलियों के कमांडर रैंक के पांच लाख इनामी नक्सली ने पुलिस अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण किया। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पांच लाख का इनामी नक्सल कमांडर चंदन दर्रो उर्फ सागर बीते 15 वर्षो से नक्सल संगठन में सक्रिय था और कई बड़ी मुठभेड़ में भी शामिल रहा। बड़े कैडर के नक्सली के आत्मसमर्पण से पुलिस को कई अहम जानकारी मिल सकती है। आत्मसमर्पित नक्सली चंदन ने पुलिस के सामने नक्सलियों के द्वारा ओडिशा बॉर्डर से महासमुंद में नक्सल संगठन को मजबूत करने की नापाक कोशिशों का खुलासा किया है।

नक्सलियों के लीडर ने चंदन को भेजा था ओडिशा के बरगढ़

नक्सल प्रभावित क्षेत्र आलपरस निवासी चंदन उर्फ सागर 2008 में नक्सल संगठन में शामिल हुआ था जो कि रावघाट एरिया कमेटी का सदस्य था। जिसके बाद उसे नक्सलियों के लीडर ने ओडिशा के बरगढ़ भेजा। बरगढ़ में चंदन लंबे समय तक सक्रिय रहा। साल 2012 से 2017 तक हुए कई मुठभेड़ में शामिल रहा है। चंदन महासमुंद क्षेत्र में सक्रिय नक्सली लीडर पाण्डु उर्फ प्रमोद का सुरक्षा गार्ड भी रह चुका है। चंदन ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि नक्सलियों के गलत इरादों, अत्याचार से तंग आकर वह 2022 में भागकर अपने घर आ गया था जिसके बाद नक्सलियों के डर के कारण वह छुपा रहा और आखिर में उसने अन्तागढ़ पुलिस से संपर्क कर आत्मसमर्पण किया है।

एसपी दिव्यांग पटेल ने बताया कि महासमुंद इलाके में नक्सली संगठन उतने मजबूत नहीं है। कई बार ओडिशा के इलाके में मुठभेड़ भी हुई लेकिन नक्सली कभी पुलिस फोर्स को कोई नुकसान पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सके है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आत्मसमर्पित नक्सली छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित हुआ है। महासमुंद क्षेत्र में सक्रिय रहने के दौरान जब वह अपने गांव आया तो उसने आस-पास के क्षेत्र में काफी बदलाव देखा। इसी बदलाव से प्रभावित होकर नक्सल कमांडर ने कांकेर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। नक्सल संगठन छोड़कर वापस मुख्य धारा में लौटने वाले नक्सलियों का सरकार पूरी मदद कर रही है, उन्होंने भटके हुए लोगों से नक्सलवाद छोड़कर वापस लौटने की अपील भी की है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली चंदन को प्रोत्साहन राशि के रूप में 25 हजार रुपये का चेक भी प्रदान किया गया है।

ओडिशा बार्डर के मुठभेड़ों में शामिल रहा है आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर

ओडिशा बार्डर में रहने के दौरान जुलाई वर्ष 2011, 2012 में बरगढ़ पहाड़ी में हुए पुलिस नक्सली मुठभेड़, जून वर्ष 2012 में महासमुंद के ग्राम गुर्मदा में हुए मुठभेड़ जिसमें नक्सली मोहन जो मैनपुर एरिया कमेटी का सदस्य था उसकी मुठभेड़ में मौत हुई थी तथा मई 2017 में बलांगीर अंतर्गत ग्राम बम्हनी में हुए पुलिस नक्सली मुठभेड़ में शामिल रहा है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आत्मसमर्पित नक्सली चंदन बचपन से सीएनएम संगठन में कार्य कर रहा था, जो वर्ष 2008 में बाल संघम के रूप में भर्ती हुआ था।

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