जूता-चप्पल उद्योग में वृद्धि के अवसर
व्यापर :देश के जूता-चप्पल उद्योग के बाजार की वृद्धि आने वाले दिनों में 90 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है.आर्थिक शोध संस्थान वैश्विक व्यापार अनुसंधान पहल यानी जीटीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ती वैश्विक मांग और भारत का वैश्विक व्यापार में अच्छा खासा दखल होने की वजह से, अगले छह से सात साल में ये लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
साथ ही इस लक्ष्य को हासिल करने के दौरान बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा होने के आसार हैं.रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. यहां दुनियाभर के कुल उत्पादन का 13 फीसदी उत्पादन होता है. साथ ही वैश्विक निर्यात का करीब 2.2 फीसदी हिस्सा भारत से किया जाता है. भारत में न केवल उत्पादन बढ़ाने और निर्यात में भी इजाफा करने की भी पर्याप्त क्षमता मौजूदा है.
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना लाने की मांग
इस उद्योग के लिए उत्पादन आधारित इंसेंटिव योजना की भी मांग की जा रही है. दरअसल भारत, जूता बनाने में इस्तेमाल होने वाले सामान का उत्पादन नहीं करता है. इनमें आउटसोल मोल्ड, ग्लू, एथिलीन विनाइल एसिटेट यानि ईवीए ग्रैन्यूल शामिल हैं. मौजूदा समय में, निर्माता ऐसी चीजों का आयात करते हैं, जिससे उत्पादन लागत 30-40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. इसी वजह से चीन और वियतनाम से प्रीमियम जूते आयात होते हैं.