अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ऐतिहासिक राष्ट्रपति
नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित मंदिर जन-जन की आस्था व न्यायिक प्रक्रिया में देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण है. प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक समारोह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार भारत को अपनी सभ्यता विरासत की निरंतर खोज में युगांतकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे.
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पश्चिमी लोकतंत्र की अवधारणा से ज्यादा पुरानी है. इसलिए भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है. अमृतकाल के प्रारंभिक वर्षों को युगांतकारी परिवर्तन का समय करार देते हुए उन्होंने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संविधान में निहित मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध राष्ट्र से किया.
पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे. उन्होंने अपना सारा जीवन इन वर्गों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. राष्ट्रपति ने कहा कि गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक लोग एक कुटुम्ब के तौर पर रहते हैं.
‘जी-20’ ने भारत के अभ्युदय को बढ़ावा दिया जी-20 शिखर सम्मेलन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि सम्मेलन ने ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भारत के अभ्युदय को बढ़ावा दिया है. इससे अंतरराष्ट्रीय संवाद की प्रक्रिया में आवश्यक तत्व का समावेश हुआ है. इस आयोजन में विचार और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था.
इससे सीख मिली कि सामान्य नागरिकों को ऐसे गहन और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों में भागीदार बनाया जा सकता है