रामदेव और बालकृष्ण की माफी सुप्रीम कोर्ट में अस्वीकार
नई दिल्ली: भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक स्वामी रामदेव और एमडी आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को माफी मांगी. कोर्ट ने उनके माफीनामे को अस्वीकार कर दिया. दोनों को फटकार लगाते हुए शीर्ष कोर्ट ने उनके माफीनामे को ‘दिखावटी’ बताया. शीर्ष अदालत ने उनको नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ पतंजलि द्वारा अपने उत्पादों की प्रभावकारिता को लेकर विज्ञापनों में किए गए बड़े-बड़े दावों पर सुनवाई कर रही थी.
पीठ ने कोरोना के दौरान आधुनिक चिकित्सा प्रणाली एलोपैथी को बदनाम करने पर केंद्र की कथित निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया. पीठ ने केंद्र से पूछा कि उसने कार्रवाई करने के बजाय अपनी आंखें क्यों मूंदें रखीं?
पीठ ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई (10 अप्रैल) पर पेश होने का आदेश दिया है. मंगलवार को भी वे कोर्ट में निजी रूप से पेश हुए.
झूठी गवाही पर संज्ञान लेगी अदालत जस्टिस कोहली ने रामदेव और बालकृष्ण को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘अदालत को उनकी माफी पर पूर्ण भरोसा नहीं है.
इसके साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी कि अदालत झूठी गवाही देने के बारे में भी संज्ञान लेगी, क्योंकि कुछ दस्तावेज (जिनके बारे में कहा गया कि वे अन्य कागजात के साथ संलग्न थे) बाद में बनाए गए थे.