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बढ़ती उम्र के साथ कैसा हो आपका खानपान…

बदलते समय के साथ आप खुद को बदलती हैं, तो फिर बढ़ती उम्र के साथ अपने आहार में जरूरी बदलाव क्यों नहीं ला रहीं? उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर कैसा हो आपका खानपान…

40 की उम्र में दें हड्डियों की सेहत पर खास ध्यान

बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक मजबूती, मानसिक सेहत और हमारे अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है. इसलिए शरीर की पोषण संबंधी जरूरतों में भी बदलाव आता है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि उम्र के अनुरूप आहार में भी बदलाव लाया जाए, ताकि सेहत दुरुस्त बनी रहे. विशेषज्ञों के अनुसार किसी व्यक्ति की पोषण सबंधी जरूरतें उसकी आयु, कद, वजन, जीवनशैली जैसी बातों पर निर्भर करती है. जैसे युवावस्था में ज्यादा भागदौड़ और शारीरिक गतिविधियां होने के कारण ज्यादा कैलोरी और पोषण की जरूरत पड़ती है. इसी प्रकार उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक गतिविधियां कम होने लगती हैं. ऐसे में शरीर की कैलोरी की जरूरत भले ही कम हो जाए, लेकिन कुछ पोषक तत्वों की जरूरत युवा लोगों से भी ज्यादा बढ़ जाती है.

20 की उम्र में चाहिए सेहत की मजबूती

युवावस्था जीवन का सबसे ऊर्जावान समय होता है. यह वह समय होता है, जब शारीरिक और मानसिक सेहत सबसे दुरुस्त होती है. लेकिन अकसर युवा इस उम्र में अपने खानपान पर ध्यान देने से चूक जाते हैं. दरअसल, युवावस्था से ही सेहत का ध्यान रखना मजबूत भविष्य की नींव रखने में मदद करता है. इस समय मांसपेशियों और हड्डियों का विकास होता है, जिसके लिए विटामिन-के, विटामिन-डी, कॉलेजन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की बहुत जरूरत पड़ती है. इसके अलावा प्रोटीन, पोटैशियम और ओमेगा-3 भी शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं.

●मांसपेशियों के विकास के लिए अंडे, दूध, दालें और सोया चंक्स का नियमित सेवन करें.

●दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए पोटैशियम जरूरी है, लिहाजा ताजे फल और मौसमी सब्जियां खाएं. सूखे मेवे जैसे अखरोट, बादाम, मूंगफली तथा सूरजमुखी के बीजों में ओमेगा 3 प्रचुर मात्रा में होता है, जो दिमाग की सेहत के लिए जरूरी है. साथ ही देसी घी, ऑलिव या नारियल के तेल आदि संतुलित मात्रा में सेवन अवश्य करें.

30 की उम्र में मांसपेशियों पर दें ध्यान

औसतन एक वयस्क तीस की उम्र के बाद अपनी तीन से आठ फीसदी मांसपेशियां खो देता है, जिसे सार्कोपेनिया के नाम से जाना जाता है. प्रोटीन से भरपूर आहार से इस परेशानी से बचा जा सकता है जैसे-

●शरीर में ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे ब्रोकली, पालक, बथुआ के साथ साबुत अनाज जैसे ज्वार व बाजरा का सेवन करें.

●बीन्स, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, टमाटर, अंगूर, खरबूजे, आलू, लहसुन आदि एंटीऑक्सीडेंट व फाइटोन्यूट्रिएंट्स का भंडार हैं. ये सभी खाद्य पदार्थ बढ़ती उम्र की रफ्तार को धीमा करने के साथ ही कैंसर जैसे रोगों से बचाव में सहायक होते हैं.

●इस उम्र में आयरन की कमी को दूर करने के लिए पालक, मछली, मीट और खट्टे फलों जैसे संतरा, रसभरी, नीबू का सेवन करें.

● आहार में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर, अंडे, दही, सोयाबीन, काले चने आदि शामिल करें.

●रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त रखने और हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन-डी जरूरी है. इसलिए मछली, संतरा, मशरूम, अंडे के पीले भाग का सेवन करें.

● साबुत अनाज, रेशेदार फल, पत्तेदार सब्जियों और दालों का सेवन करें.

●कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के लिए साबुत अनाज, बीन्स, मटर व सोया को अपने आहार में शामिल करें.

मिडिल एज यानी अधेड़ उम्र युवावस्था तथा वृद्धावस्था के बीच का पड़ाव होता है. इस उम्र में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है. असल में चालीस के बाद धीरे-धीरे हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी गिरावट आने लगती हैै. ऐसे में आहार में बदलाव करते हुए संतुलित पोषण का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है.

मेनोपॉज के दौरान आहार

इस अवस्था में ऊर्जा की कमी, थकावट, चिड़चिड़ाहट, नींद ना आना या पाचन संबंधी परेशानियां ज्यादा परेशान करने लगती हैं. इनसे छुटकारा पाने के लिए रोजाना के आहार पर ध्यान दें.

● कैल्शियम, आयरन व एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार लें. ग्रीन टी, कोको, बेरीज, साबुत अनाज, मौसमी फलों तथा ताजी सब्जियों का सेवन ज्यादा करना चाहिए.

● दिमाग के सही संचालन के लिए विटामिन-बी 12 का प्रचुर मात्रा में सेवन करें. साथ ही विटामिन-डी और विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे संतरे और नीबू आदि का सेवन करें.

● इस उम्र में कम वसा तथा उच्च प्रोटीन युक्त आहार के सेवन पर जोर देना चाहिए ताकि शरीर को जरूरी पोषण मिल सके.

इन्हें भी रखें याद

● उम्र चाहे कोई भी हो, पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं, ताकि शरीर सही ढंग से काम कर सके.

● रात के समय पर्याप्त नींद लें, ताकि दिन में तरोताजा और ऊर्जावान महसूस कर सकें.

● उम्र के हिसाब से व्यायाम जरूर करें.

● शारीरिक पोषण के साथ-साथ मानसिक सेहत का भी ध्यान रखें.

● उम्र बढ़ने के साथ-साथ भूख व स्वाद में बदलाव आने लगता है. इसलिए खाने के सेहतमंद विकल्प आजमाएं.

●साठ साल के बाद मिर्च-मसाले और तले हुए आहार से परहेज करें.

●मीठे के सेवन पर खास ध्यान दें, वरना मधुमेह होने की आशंका बढ़ सकती है. डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही हजम ना होने की स्थिति में कैल्शियम और प्रोटीन की पूर्ति प्लांट बेस्ड उत्पादों से की जा सकती है.

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