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एनपीएस में कर छूट की सीमा बढ़ने के आसार


केंद्र सरकार पूर्ण बजट में राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) सदस्यों को राहत देने के लिए कई रियायती घोषणाएं कर सकती है. इसके तहत एनपीएस योगदान पर कर छूट सीमा को बढ़ाकर 12 फीसदी किया जा सकता है, जो अभी 10 फीसदी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी.

पेंशन नियामक ने की सिफारिश पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए ने इसी साल सरकार से यह कर छूट देने की सिफारिश की है. नियामक का कहना है कि कर के मामले में ईपीएफओ और एनपीएस में असमानता है. एनपीएस में मूल वेतन और महंगाई भत्ते पर 10 प्रतिशत की कर छूट दी जाती है, जबकि ईपीएफओ के मामले में यह 12 फीसदी है. वहीं, सरकारी कर्मचारियों के मामले में यह सीमा 14 फीसदी है. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार पीएफआरडीए के इस प्रस्ताव पर विचार कर सकती है.

यहां भी राहत संभव इसके अलावा वर्तमान में, धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये के स्वैच्छिक योगदान के संबंध में अतिरिक्त कटौती केवल पुरानी कर व्यवस्था के तहत ही दी जाती है. सरकार नई कर व्यवस्था के तहत भी उक्त कटौती की अनुमति देने पर विचार कर सकती है. इससे सरकार के दो उद्देश्य पूरे होंगे. पहला- करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत अतिरिक्त कटौती का फायदा मिलगा. दूसरा – इस सेवानिवृत्ति योजना में अधिक निवेश होगा.


निजी कर्मचारियों को होगा बड़ा फायदा
अभी ईपीएफ खाते में नियोक्ता और कर्मचारी का 12-12 फीसदी अंशदान होता है. इस पर कर छूट भी मिलती है. वहीं, एनपीएस में निजी क्षेत्रों को 10 फीसदी अंशदान पर ही कर छूट दी जाती है. पीएफआरडीए ने इस छूट को 12 फीसदी करने की सिफारिश की है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार एनपीएस में नियोक्ता के योगदान की सीमा बढ़ा देती है तो इससे निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों और सरकारी कर्मियों के बीच फर्क खत्म हो जाएगा.



करदाताओं को आस
कर मोर्चे पर भी नौकरीपेशा वर्ग को उम्मीद है कि मानक कटौती की सीमा को बढ़ाया जा सकता है. फिलहाल मानक कटौती के तहत 50,000 रुपये की छूट है. वहीं, पुरानी कर व्यवस्था के स्लैब और दर में 2014 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है.

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