
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सोमवार को घात लगाकर आतंकियों ने सेना के वाहन पर ग्रेनेड से हमला बोल दिया. हमले में जेसीओ सहित सेना के पांच जवान शहीद हो गए जबकि पांच घायल हो गए. आतंकियों ने दो दिन के भीतर सेना पर यह दूसरा हमला किया है. इसके पहले आतंकियों ने रविवार को राजौरी में सेना की चौकी पर हमला बोला था, जिसमें एक जवान घायल हो गया था. वहीं, बीते 72 घंटों में ये तीसरी आतंकी वारदात है, जिसमें सेना के आठ जवान शहीद हो चुके हैं. सेना पर हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कश्मीर टाइगर्स ने ली है.
घायल जवानों को देर रात एंबुलेंस से कठुआ के बिलावर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. इसके बाद पांच जवानों को पठानकोट के सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
सेना के अधिकारियों के अनुसार, सैन्य वाहन से जवान कठुआ से करीब 150 किलोमीटर दूर बंडनोटा गांव के माचेड़ी-किंडली मल्हार रोड पर दोपहर साढ़े तीन बजे गश्त कर रहे थे. इसी दौरान आतंकियों ने जवानों पर पहले ग्रेनेड फेंका. इसके बाद गोलीबारी शुरू कर दी. घटना में कुल 10 जवान घायल हो गए, बाद में पांच जवान शहीद हो गए. जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई में गोलीबारी की लेकिन आतंकी जंगलों में भाग गए.
सेना के अनुसार, इलाके में देर रात तक सेना और आतंकियों के बीच गोलीबारी होती रही. सेना का एक दस्ता जंगलों में आतंकियों की तलाश में जुटा है. ये इलाका भारतीय सेना के 9वीं कॉर्प्स के तहत आता है.
सेना ने पूरे इलाके को घेरा: एक अधिकारी ने बताया कि आतंकियों को मार गिराने के लिए सेना ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है. माना जा रहा है कि सैन्य वाहन पर हमला करने वाले आतंकी सीमापार से आए थे और जम्मू- कश्मीर के ऊपरी इलाके में जाने की फिराक में थे. बीते चार सप्ताह में कठुआ में ये दूसरी बड़ी घटना है. 12 और 13 जून के बीच कठुआ में आतंकियों व सीआरपीएफ जवानों के बीच सर्च ऑपरेशन के दौरान शुरू हुई मुठभेड़ में एक जवान शहीद हो गया था.
घने जंगलों से घिरा है पूरा इलाका: सेना जिस क्षेत्र में ऑपरेशन चला रही है वह घने जंगलों से घिरा है. यह जंगल ऊधमपुर के बसंतगढ़ से जुड़ा है. यहां पहले भी कई एनकाउंटर हो चुके हैं. 28 अप्रैल को एक मुठभेड़ में आतंकियों ने विलेज डिफेंस गार्ड मोहम्मद शरीफ को मौत के घाट उतार दिया था. अधिकारियों का मानना है कि आतंकी इस रास्ते का इस्तेमाल कर सीमा में दाखिल होते हैं और आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं.
तीन दिन में दस दहशतगर्द ढेर : छह और सात जुलाई को हुई कुलगाम मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद हुए थे. सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चला छह दहशतगर्दों को मार गिराया था. इसी दौरान चिनिघम इलाके में भी सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी जिसमें सेना का एक जवान शहीद हो गया था. सेना ने ऑपरेशन के दौरान चार दहशतगर्दों को मार गिराया था. सेना ने इनके पास से बड़ी मात्रा में हथियार और गोलाबारूद बरामद किया था. सेना को संदेह है कि बडे़ पैमाने पर आतंकी घाटी के जंगलों में छिपे हो सकते हैं.
तीन आतंकियों की करतूत
आतंकियों के खिलाफ चल रहे सैन्य अभियान से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि घटना को तीन आतंकियों ने अंजाम दिया है. इनके पास भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद होने की भी आशंका जताई जा रही है. कहा जा रहा है कि ये तीनों आतंकी सीमा पार से घाटी में दाखिल हुए थे. डीजीपी आरआर स्वैन खुद सैन्य ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं. घटनास्थल पर सेना के कई बड़े अधिकारी पहुंच गए हैं और ऑपरेशन की रणनीति बना रहे हैं.