बस्तर में बारिश से तबाही, 100 से अधिक गांव बने टापू
प्रदेश के रायपुर समेत कई जिलों में भारी बारिश के कारण स्थिति गंभीर हो गई है. सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर के स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है. बस्तर संभाग के जिलों में जलभराव और रास्तों के कटने से जनजीवन प्रभावित हुआ है. सुकमा जिले के तोंगपाल क्षेत्र में बाढ़ का पानी घरों में घुसने से 20 मकान ढह गए हैं और प्रभावित 35 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है.
भारी बारिश के चलते नेशनल हाईवे 30 पर आवागमन बंद हो गया है, और कई जिलों में नदी-नाले उफान पर हैं. सुकमा जिले का सड़क संपर्क ओडिशा, तेलंगाना, और आंध्र प्रदेश से टूट गया है. इसके अलावा, बीजापुर से महाराष्ट्र का सड़क संपर्क मिंगाचल नदी में आई बाढ़ के कारण बाधित हो गया है.
दंतेवाड़ा जिले के 100 से अधिक गांव भारी बारिश के कारण टापू में तब्दील हो गए हैं, जिससे लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है.
कलेक्टरों को अलर्ट, राहत-बचाव कार्य जारी
बस्तर संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों को अलर्ट पर रखा गया है और प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं. भारी बारिश के कारण 9 सितंबर तक प्रदेश में औसत से 4% अधिक बारिश दर्ज की गई है और आने वाले दिनों में भी भारी बारिश का अनुमान है.
बस्तर में भारी बारिश के कारण उत्पन्न स्थिति पर सांसद महेश कश्यप ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा संभाग में भारी बारिश की चेतावनी पहले ही दी गई थी, और पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है. इस बारिश के चलते कई क्षेत्र कट गए हैं, जिसमें सुकमा जिले के कुछ सड़कों पर पानी भर जाने की जानकारी सामने आई है. चिंतलनार क्षेत्र में परसों रात अचानक हुई बारिश से पानी कई घरों में घुस गया, जिससे लगभग 30-35 घर प्रभावित हुए हैं. सांसद महेश कश्यप ने बताया कि जैसे ही उन्हें इस स्थिति की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत कलेक्टर और एसपी से संपर्क कर राहत कार्य के लिए अधिकारियों को भेजने का निर्देश दिया. प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर उनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की गई. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सरकार पूरी तरह से तत्पर रहेगी. यदि ग्रामीणों को जान-माल का नुकसान हुआ है, तो उन्हें मुआवजा भी दिया जाएगा.