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भगवान शिव पर 3 पत्रों वाला बेलपत्र चढ़ाना ही क्यों होता है शुभ? जानें आखिर इसके पीछे की क्या है कहानी

सावन का महीना शुरु हुए अब 9 दिन पूरे हो चुके हैं। सावन का पहला सोमवार जा चुका है। शिवभक्तों को दूसरे सावन सोमवार का तहेदिल से इंतजार है। अगला सावन सोमवार व्रत 21 जुलाई को है। सावन सोमवार में घरों से लेकर मंदिरों में शिव नाम के जयकारे लगते हैं। वहीं लोग इस दिन भगवान शिव पर उनकी मनपंसदीदा चीज जैसे दूध, दही, शहद, चंदन, धतूरा, बेलपत्र और सफेद फूल वगैरह चढ़ाते हैं। दिन भर व्रत रखकर लोग भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ऐसे प्रसन्न हो जाते हैं और लोगों की हर एक मनोकामना को पूरी कर देते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव पर बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं? शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्रों वाला ही बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है? चलिए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे का माजरा क्या है?

तीन पत्रों वाले बेलपत्र ही क्यों?

भगवान शिव और बेलपत्र को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि समुंद्र मंथन के दौरान जब भगवान शिव ने विष पी लिया था, तब बेलपत्र के द्वारा ही उन्हें शीतलता मिली थी। ऐसे में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना काफी शुभ माना गया है। वहीं दूसरी जो कथा प्रचलित है वो ये है कि 3 पत्रों वाले बेलपत्र भगवान शिव के तीनों नेत्र का प्रतीक होता है। वहीं इसे त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश की निशानी भी माना गया है।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका

अगर आप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने वाले हैं तो पहले उसे अच्छी तरह से साफ कर लें। कटे-फटे बेलपत्र साइड में रख दें। शिवलिंग पर हमेशा साफ-सुथरे और अच्छे बेलपत्र ही चढ़ाने चाहिए। शिवलिंग पर इसे चढ़ाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि इसकी डंडी वाला साइड आपकी ओर हो। इसे चढ़ाते वक्त ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप भी करते रहें।

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