रायपुर. हाउसिंग बोर्ड और रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) के करोड़ों के प्रोजेक्ट धूल फांक रहे हैं। इसके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मकान, दुकान, फ्लैट, प्लाट नहीं बिक रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड की प्रदेश भर में करीब 5 हजार संपत्तियां हैं, जिनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इसी तरह आरडीए की भी अलग-अलग इलाकों में करीब 300 संपत्तियां हैं। इनको बेचने के लिए बार-बार टेंडर निकाले जा रहे हैं। इसके बाद भी ये संपत्तियां नहीं बिक रही हैं। दोनों की करोड़ों की संपत्तियां बेकार पड़ी हैं। दूसरी ओर देखरेख के अभाव में मकानों, लैट और दुकान खराब हो रहे हैं। इनके मेंटेनेंस पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ऑफर का भी असर नहीं
हाउसिंग बोर्ड अपने आवासीय और व्यावसायिक भवनों की खरीदी पर 30 फीसदी छूट दे रहा है। इसी तरह आरडीए भी अपने आवासीय भवनों की खरीदी पर 30 फीसदी और कॉमर्शियल में 50 फीसदी के भाड़ाक्रय सरचार्ज में छूट दे रहा है। इतनी छूट का लोगों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की संपत्ति खरीदने में लोग ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। हालांकि हाउसिंग बोर्ड में थोड़ा सुधार हुआ है। वर्ष 2023-24 में संपत्ति बिक्री में कुछ तेजी आई है।
4834 संपत्तियां नहीं बिकीं
हाउसिंग बोर्ड की प्रदेश भर में मकान, फ्लैट, दुकान आदि निर्माण की 393 परियोजनाएं हैं। इनकी कुल 4 हजार 834 संपत्तियां रिक्त हैं। ये नहीं बिक रही है। इसी तरह रायपुर में आरडीए के करीब 300 मकान, दुकान, फ्लैट नहीं बिक पा रहे हैं।
दुकानें महंगी, आउटर में आवास
हाउसिंग बोर्ड और आरडीए के मकान, दुकान नहीं बिकने की बड़ी वजह अधिक मूल्य है। दुकानों की कीमत अधिक है, तो अधिकांश आवासीय प्रोजेक्ट शहर के आउटर में हैं। इसके चलते भी आमलोगों की इसमें रुचि कम है।



















