
नई दिल्ली . देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के दो नए न्यायमूर्तियों को पद की शपथ दिलाई, जिससे शीर्ष अदालत में जज की संख्या 34 की पूर्ण स्वीकृत क्षमता के बराबर हो गई.
न्यायालय परिसर में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जस्टिस राजेश बिंदल और अरविंद कुमार को शपथ दिलाई गई. पदोन्नत होने से पहले बिंदल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे जबकि कुमार गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे. एक समारोह में दोनों न्यायमूर्तियों के संबंधी और मित्रगण मौजूद रहे.
अरविंद गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे
शीर्ष अदालत के जज के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार 13 अक्तूबर, 2021 से गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे. 14 जुलाई 1962 को जन्मे अरविंद ने 1987 में बतौर वकील पंजीयन कराया. 1999 में, उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्र के अतिरिक्त स्थायी वकील नियुक्त किया गया था. 2009 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त जज बने. 2012 में स्थायी जज के रूप में पदोन्नत.
बिंदल इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे
न्यायमूर्ति बिंदल 11 अक्तूबर, 2021 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे. 16 अप्रैल 1961 को जन्मे न्यायमूर्ति बिंदल ने 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलबी किया था और सितंबर 1985 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत के पेशे में शामिल हो गए थे. उन्हें 22 मार्च, 2006 को हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत दी गई. इस दौरान उन्होंने लगभग 80,000 मामलों का निपटारा किया.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा कि शीर्ष न्यायालय के कोलेजियम द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार जजों की नियुक्ति और स्थानांतरण हो. इससे जुड़े मुद्दे के लिए जो जरूरी है, उसमें से ज्यादातर काम कर लिया गया है.
न्यायमूर्ति एस.के. कौल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वह जजों की नियुक्ति से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर चिंतित है. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के उपस्थित नहीं रहने के कारण शीर्ष न्यायालय ने दो याचिकाओं की सुनवाई 2 मार्च के लिए स्थगित कर दी. इनमें से एक याचिका में आरोप लगाया गया हे कि केंद्र कोलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए नामों को मंजूरी देने में देर कर रहा है. शीर्ष विधि अधिकारी की ओर से वकील द्वारा कुछ समय मांगे जाने पर पीठ ने कहा, ‘कृपया यह सुनिश्चित करें कि जो कुछ किए जाने की उम्मीद है, उनमें से ज्यादातर कर लिया गया है. अटॉर्नी जनरल को सूचित कर दें.’
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि कुछ नियुक्तियां चुनिंदा तरीके से अधिसूचित की जा रही हैं, जबकि कुछ को लंबित रखा जा रहा है. न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘श्रीमान भूषण, मैं यह मुद्दा पहले ही उठा चुका हूं. मैं कुछ मुद्दों को लेकर चिंतित भी हूं. मुझे कहने दीजिए, मुद्दे एक से अधिक हैं.’भूषण ने कहा कि यह अनंत काल तक नहीं चल सकता. न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर ज्यादा नहीं, पर समान रूप से मैं भी चिंतित हूं.’ भूषण ने कहा, ‘कभी ना कभी, शीर्ष न्यायालय को ऐसा कहने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करना होगा, अन्यथा यह अनंत काल तक चलेगा.’