राष्ट्रीय

संयुक्त सेना के कमांडरों को सशक्त बनाएगा इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन बिल

रक्षा मंत्रालय ने थियेटर कमांड की दिशा में काम करते हुए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया है। इस बिल का उद्देश्य तीनों सेनाओं में अपनी सेवाएं देने वाले कमांडरों को अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करना है।

इंटर सर्विसेज आर्गेनाइजेशंस (कमांड, कंट्रोल और अनुशासन) विधेयक, 2023 के अनुसार, केंद्र सरकार अधिसूचना के जरिये इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन का गठन कर सकते हैं। इसमें संयुक्त सेवा कमांड भी शामिल है। इस बिल को लोकसभा में बुधवार को रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने पेश किया।

मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना, सेना और नौसेना क्रमश: वायुसेना अधिनियम, 1950, सेना अधिनियम और नौसेना अधिनियम, 1957 से संचालित होती है। ऐसे में केवल इन तीन सशस्त्र सेनाओं के अधिकारियों को अनुशासनात्मक शक्तियां प्रदान की जाती हैं। इसका सीधा असर सेनाओं के अंतर सेवा संगठनों पर पड़ता है: जैसे- अंडमान एंड निकोबार कमांड, डिफेंस स्पेस एजेंसी और संयुक्त प्रशिक्षण प्रतिष्ठान जैसे नेशनल डिफेंस एकादमी (NDA)। इसलिए ऐसे सैन्य संगठनों के कमांड इन चीफ या अफसर इन कमांड को अन्य सेवाओं से संबद्ध होने पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां नहीं मिलती हैं।

इन विशिष्ट प्रयोजनों के लिए बनाए सैन्य संगठनों के कमांडरों को कोई अनुशासनात्मक और प्रशासनिक अधिकार नहीं होते हैं। ऐसे में इंटर सर्विसेज संगठन में जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक और प्रशासनिक के लिए उन्हें उनकी मूल यूनिटों में वापस भेजना पड़ता है, लेकिन नए विधेयक से यह समस्या हल हो जाएगी। अब नए विधेयक के कारण इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन के कमांडरों को ऐसा कोई भी फैसला लेना का पूरा अधिकार होगा।

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