ED के पास दर्ज मामलों में केवल 2.98 फीसद सांसदों-विधायकों के खिलाफ
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देश के कई बड़े नेताओं पर चल रही जांच के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार ईडी के पास दर्ज कुल मामलों में केवल 2.98 प्रतिशत केस ही सांसदों और विधायकों से जुड़े हैं। इसमें पूर्व सांसद और पूर्व विधायक या जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। ऐसे मामलों में 96 प्रतिशत आरोपित दोषी पाए जाते हैं और उन्हें सजा भी मिलती है। मतलब सांसद, विधायकों पर ईडी की जांच में सजा की दर सबसे अधिक 96 प्रतिशत है।
ईडी ने साझा किया कार्रवाई का डाटा
ईडी ने 31 जनवरी 2023 तक तीन कानून के तहत की गई अपनी कार्रवाई का डाटा साझा किया है। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, फारेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, भगोड़े आर्थिक अपराध के तहत दर्ज मामले शामिल हैं। ईडी ने पीएमएलए के प्रविधानों के तहत 2005 से काम करना शुरू किया। एजेंसी को जांच के दौरान अभियुक्तों को बुलाने, गिरफ्तार करने, उनकी संपत्ति कुर्क करने और अदालत के समक्ष अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का कानून अधिकार दिया गया है। ईडी ने आर्थिक अपराध से जुड़े अब तक कुल 5,906 शिकायतों को दर्ज किया है। इसमें 2.98 प्रतिशत यानी 176 मामले ही मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों और एमएलसी के खिलाफ दर्ज हैं।
अब तक कुल 1,142 शिकायतें दर्ज
पीएमएलए के तहत अब तक कुल 1,142 अभियोजन शिकायतें या चार्जशीट दायर की गई हैं और इन शिकायतों के तहत कुल 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस अवधि तक पीएमएलए के तहत कुल 25 मामलों में सुनवाई पूरी हुई और इसके परिणामस्वरूप 24 मामलों में सजा हुई। एक मामले में दोषमुक्ति हुई। इन मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत दोषी अभियुक्तों की संख्या 45 है। दोषसिद्धि का प्रतिशत 96 प्रतिशत तक है। दोषसिद्धियों के कारण 36.23 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई, जबकि अदालत ने दोषियों के खिलाफ 4.62 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
बड़ी तादाद में संपत्ति कुर्क
जांच एजेंसी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत कुल 1,15,350 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई थी। एजेंसी इस कानून के तहत मौजूदा मुख्यमंत्रियों, शीर्ष राजनेताओं, नौकरशाहों, व्यापारिक समूहों, कारपोरेट्स, विदेशी नागरिकों और अन्य सहित कुछ हाई-प्रोफाइल लोगों की जांच कर रही है।
40 हजार करोड़ की संपत्ति कुर्क
पीएमएलए के निर्णायक प्राधिकरण ने 1,632 ऐसे कुर्की आदेशों (71,290 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति रखने वाले) की पुष्टि की, जबकि 260 (40,904 करोड़ रुपये मूल्य की कुर्की के तहत संपत्ति के साथ) पुष्टि के लिए लंबित थे। फेमा कार्रवाई पर ईडी ने कहा कि उसने इस साल जनवरी के अंत तक इस नागरिक कानून के तहत कुल 33,988 मामले शुरू किए और 16,148 मामलों में जांच का निस्तारण किया। फेमा के तहत कुल 8,440 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, जिनमें से 6,847 का फैसला सुनाया गया।
फेमा को 1973 के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेमा) को निरस्त करने के बाद 1999 में अधिनियमित किया गया था। एजेंसी ने 15 लोगों के खिलाफ एफईओए की कार्रवाई शुरू की, जिनमें से नौ को अदालतों द्वारा अब तक भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) घोषित किया गया है और 2018 में लाए गए इस कानून के तहत कुर्क की गई संपत्ति 862.43 करोड़ आंकी गई। नरेन्द्र मोदी सरकार ने एफईओए उन लोगों को पंगु बनाने के लिए बनाया था जिन पर बड़ी आर्थिक धोखाधड़ी का आरोप है और कानून से बचने के लिए देश से फरार हैं।