विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने कहा कि पहाड़ की चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक जलवायु परिवर्तन का असर दिख रहा है. 1850 के बाद पिछले आठ साल लगातार सर्वाधिक गर्म वर्ष दर्ज किए गए हैं. डब्ल्यूएमओ की शुक्रवार को जारी ‘द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022’ रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक सूखा, बाढ़ और भीषण गर्मी ने हर महाद्वीप पर समुदायों को प्रभावित किया और इनसे निपटने में कई अरब डॉलर खर्च किए गए. अंटार्कटिक समुद्री बर्फ रिकॉर्ड स्तर तक अपनी सबसे निचली सीमा तक पिघली और कुछ यूरोपीय ग्लेशियरों का पिघलना तो गिनती से भी बाहर हो गया है. यह रिपोर्ट ग्रीनहाउस गैसों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के कारण भूमि, समुद्र और वातावरण में वैश्विक स्तर के बदलाव को दर्शाती है.
वैश्विक तापमान के लिए पिछले तीन वर्षों से ला नीना घटना के शीतलन प्रभाव के बावजूद वर्ष 2015-2022 लगातार रिकॉर्ड आठ सबसे गर्म वर्ष थे. ग्लेशियरों के पिघलने और समुद्र के स्तर में वृद्धि भी 2022 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है. 2022 में वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.15 (1.02 से 1.28) डिग्री सेल्सियस अधिक था.
भारत-पाक में फसलों की पैदावार में आई गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है भारत और पाकिस्तान में 2022 में लू से फसल की पैदावार में गिरावट आई. इसने यूक्रेन में संघर्ष की शुरुआत के बाद भारत में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय खाद्य बाजारों में मुख्य खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, पहुंच और स्थिरता को खतरे में डाल दिया. पहले से ही खाद्यान्न की कमी से प्रभावित देशों के लिए उच्च जोखिम पैदा कर दिया.
जैसे-जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है, वैसे-वैसे जलवायु में परिवर्तन गति पकड़ रहा है. दुनियाभर की आबादी मौसम और जलवायु घटनाओं से गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है. 2022 में पूर्वी अफ्रीका में सूखा, पाकिस्तान में रिकॉर्ड तोड़ बारिश और चीन व यूरोप में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है. -प्रो. पेटेरी तालस, डब्ल्यूएमओ के महासचिव