मानसून में पाचन शक्ति थोड़ी कमजोर हो जाती है, इसलिए पाचन तंत्र से संबंधित समस्याएं, खासकर पेट के संक्रमण के मामले इस मौसम में काफी बढ़ जाते हैं. स्वस्थ रहने के लिए इस तरह के संक्रमणों से बचने की जरूरत है. पेट का संक्रमण, आमतौर पर बैक्टीरिया व वायरस का संक्रमण है, जिसके कारण पेट की अंदरूनी परत में जलन होती है. इसकी वजह से संक्रमित व्यक्ति को दस्त और उल्टी होने लगती है. इस परेशानी को खुद से दूर रखने के लिए आप कुछ सुपर फूड्स की मदद ले सकती हैं
हल्दी में छुपा है हल
हल्दी को गोल्डन स्पाइस कहा जाता है. यह अपने एंटी-इंफ्लामेटरी व एंटीऑक्सीडेंट वाली विशेषताओं के लिए जानी जाती है. इसमें पाया जाने वाला कुरकुमिन तत्व इम्युनिटी को मजबूत करता है. रात में एक गिलास दूध में एक चुटकी हल्दी पाउडर डालकर पिएं, फायदा होगा.
वरदान है प्रोबायोटिक्स
प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो आंतों में मौजूद होते हैं. ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि डाइट में प्रोबायोटिक्स को शामिल करने से इम्यून कोशिकाओं का निर्माण बढ़ जाता है और शरीर में प्राकृतिक एंटीबॉडीज के निर्माण को बढ़ावा मिलता है. इसके लिए आप दही, छाछ आदि का सेवन करें, क्योंकि इसमें प्रोबायोटिक्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. फर्मेंटेड फूड्स जैसे डोसा व इडली भी आंतों के लिए अच्छे होते हैं.
मौसमी फल और मसालों का कमाल
एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर मौसमी फलों का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है. मानसून में अनार, जामुन, चेरी, नाशपाती, आड़ू आदि खाना अच्छा रहता है. ऐसे मौसम में इसके अलावा कुछ मसाले भी हैं, जो इम्युनिटी को मजबूत बनाने में मदद करते हैं, जैसे काली मिर्च, लौंग, अजवाइन, दालचीनी आदि. इनमें वो पोषक तत्व होते हैं, जो पाचन में सहायता करते हैं. इन मसालों से काढ़ा बनाएं और उसमें नीबू का रस व तुलसी की पत्तियां डालकर पिएं.
इन बातों का भी रखें ध्यान
●घर के बने सादे और पोषक भोजन करें. अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन न लें.
●मानसून में कच्चे और अधपके खाद्य पदार्थों का सेवन न करें. खाना पकाने में अधिकतर सूक्ष्मजीव मर जाते हैं और इसे खाने के लिए सुरक्षित बना देते हैं.
●शरीर में पानी की कमी न होने दें. इस मौसम में पानी पीने की ज्यादा जरूरत महसूस नहीं होती, फिर भी आपको दिन में 7-8 गिलास पानी जरूर पिना चाहिए.
●रात को अच्छी नींद लें. रात में जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठें, ताकि आपका शरीर सर्केडियन रिदम के साथ तालमेल बैठा ले.