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भारत को जानने के लिए हिंदी सीख रहे विदेशी

भारत की संस्कृति, धर्म और सामाजिक परिवेश को जानने के लिए विदेशी हिंदी सीख रहे हैं.

तेल अवीव विश्वविद्यालय, इजरायल में हिंदी के शिक्षक डॉ. गेनादी श्लोम्पेर का कहना है कि इजरायल में हिंदी कोई नहीं जानता है, फिर भी इस भाषा की लोकप्रियता देखिए, मैं 27 वर्ष से हिंदी पढ़ा रहा हूं. वर्ष 1996 में मैंने हिब्रू विश्वविद्यालय में हिंदी का पहला कोर्स चलाया था. इसकी सफलता को देखकर तेल अवीव विश्वविद्यालय में भी वर्ष 2000 में हिंदी पढ़ाने का फैसला लिया गया. एक साल बाद खैफा विश्वविद्यालय में एशिया अध्ययन का संकाय खुला, जिसके पाठ्यक्रम में भारत और हिंदी के अध्ययन को भी महत्वपूर्ण स्थान मिला. वहीं, इटली निवासी छात्र स्टेफानो इन दिनों भारत में हिंदी सीख रहे हैं और यहां एक दूतावास में कार्यरत हैं. स्टेफानो बताते हैं कि मुझे इस देश से लगाव है. यहां की संस्कृति, भाषा के प्रति मेरी जिज्ञासा है, जिसके कारण मैंने हिंदी सीखी है.

विदेश में प्रचार-प्रसार कर रहे अनूप अनूप भार्गव न्यूजर्सी में आईटी प्रोफेशनल और कवि हैं. वह हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए बीते 30 वर्ष से काम कर रहे हैं. वह बताते हैं कि हम हिंदी की अनन्य पत्रिका का कई देशों में प्रकाशन कर रहे हैं. साथ ही विदेशों में कवि सम्मेलनों का आयोजन कराते हैं. भारतीय लोगों को यहां हिंदी पढ़ाने का सफल प्रयास कर रहे हैं.

आईसीसीआर कर रही प्रयास भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रही है. आईसीसीआर के चेयरमैन डॉ. विनय सहस्त्रत्त्बुद्धे ने बताया कि विदेशों में हिंदी पढ़ने के इच्छुक लोगों की मदद परिषद कर रही है.

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