छत्तीसगढ़: 500 करोड़ के नुकसान के बाद जागा विभाग

भू-माफियाओं की मनमानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इस मामले में जिला एवं नगरीय प्रशासन कार्रवाई करने के नाम पर अपने हाथ खड़े चुके हैं. शायद इसीलिए भू-माफियाओं की शिकायत प्रधानमंत्री से करनी पड़ रही है. शिकायत के बाद संयुक्त संचालक अधिकारी से भू-माफियाओं से मिलीभगत के कारण 500 करोड़ से अधिक का नुकसान होने के संबंध में नपा सीएमओ से स्पष्टीकरण मांगा है.
ज्ञात हो कि सक्ती जिले में अवैध प्लाटिंग को लेकर शहर के एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री आफिस में शिकायत की थी. शिकायत के बाद पीएमओ कार्यालय दिल्ली से संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास बिलासपुर संभाग को पत्र भेजा गया है. जिसमें सक्ती के जिम्मेदार अधिकारियों पर भू-माफियाओं से मिलीभगत कर शासन को बड़ी क्षति पहुंचाने का उल्लेख है. बिलासपुर संयुक्त संचालक कार्यालय से एक पत्र सक्ती सीएमओ संजय सिंह के पास पहुंचा है. जिसमे संयुक्त संचालक ने सक्ती सीएमओ से 3 दिन के अंदर पूरे मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. बिलासपुर संयुक्त संचालक कार्यालय से भेजे गए पत्र में लिखा है कि नगर पालिका परिषद सक्ती क्षेत्रांतर्गत अवैध प्लाटिंग के संबंध में नगरपालिका नगर एवं ग्राम निवेश, राजस्व विभाग व अन्य जांच टीम के संयुक्त निरीक्षण प्रतिवेदन के आधार पर कार्यालय नगर पालिका के पत्र द्वारा थाना प्रभारी पुलिस थाना सक्ती को कार्रवाई करने पत्र भेजा है. थाना प्रभारी ने 22 मई को प्रकरण से संबंधित संलग्न वांछित मूल दस्तावेज की मांग की. इसके बाद भी वांछित अभिलेख आज पर्यंत उपलब्ध नहीं कराए जाने का कारण स्पष्ट करते हुए अपना लिखित स्पष्टीकरण 3 दिवस के भीतर अनिवार्यत: अधोहस्ताक्षरकर्ता को प्रस्तुत करने की बात कही गई है.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल सक्ती के पूर्व सीएमओ सौरभ तिवारी ने भू-माफियाओं के खिलाफ एसीबी से प्राप्त शिकायत पत्र के बाद दर्जनभर से ज्यादा भू-माफियाओं के नाम वाली सूची के साथ 5 माह पूर्व मार्च में सक्ती थाने में एफआईआर के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था. मगर रसूखदार भू-माफियाओं के आगे पुलिस भी मामले में एफआईआर करने की हिम्मत नहीं हुई. वही भू-माफियाओं के खिलाफ जाने वाले सक्ती सीएमओ सौरभ तिवारी का सक्ती से स्थानांतरण कर दिया गया. इसके बाद आज तक तक यह प्रकरण थाने में लंबित है. इधर पुलिस मामले में एफआईआर के लिए दस्तावेजों की कमी बता रहे हैं. वही संबंधित विभाग पुलिस को दस्तावेज उपलब्ध कराने में कांप रहा है. लिहाजा भू-माफियाओं के खिलाफ महीनों बाद भी कार्रवाई नहीं हो सकी.