कोरोना काल से पहले दोस्तों के बीच आउटडोर गेम में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले बच्चे अब सोशल मीडिया पर लाइक-कमेंट ढूंढ़ रहे हैं. बच्चों की इस आदत ने उन्हें फीयर ऑफ मिसिंग आउट (फोमो) की चपेट में ला दिया है.
कोरोना संक्रमण के बाद बड़ी संख्या में बच्चे-किशोर व युवक फोमो की चपेट में आए हैं. इस बीमारी से ग्रसित युवा सोशल मीडिया पर लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वहां भी अपेक्षित लाइक और कमेंट न मिलने से कुंठा के शिकार हो रहे हैं और गहरे अवसाद में चले जा रहे हैं. मायागंज अस्पताल के मनोरोग विभाग के ओपीडी में हर रोज फोमो की चपेट में आए दो से तीन बच्चे, किशोर और युवा इलाज को आ रहे हैं. अभिभावक परेशान हैं कि बच्चा किताब नहीं खोलता है और फेसबुक पर लाइक और कमेंट देखता रहता है.
जेएलएनएमसीएच भागलपुर के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत ने कहा कि इंसान भीड़ में भी अपनी अलग पहचान चाहता है. उसे जब यह नहीं मिलती तो वह सोशल मीडिया का सहारा लेता है, पर वहां भी लाइक-कमेंट न मिल पाने से वह कुंठित हो जाता है.
कोरोना काल के बाद बच्चों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं बढ़ीं, सामाजिक प्रदर्शन की बजाय इंटरनेट पर पहचान बनाने कोशिश कर रहे