भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नए नियमों के अनुसार, ऐसे विदेशी निवेशक जिनकी घरेलू बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन वो कुछ खास समूह या शेयरों में ही सीमित हैं तो इन निवेशकों को कुछ अतिरिक्त खुलासा नियमों का पालन करना होगा. अपने मालिकाना हक को लेकर तस्वीर और ज्यादा साफ करनी होगी.
सेबी ने जून में ही दे दी थी मंजूरी सेबी ने यह कदम हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अडाणी समूह को मिले बड़े झटके के बाद उठाया है. जून में ही सेबी ने एक ही समूह या शेयर में अपना अधिकांश निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए अतिरिक्त खुलासा नियम को लेकर परामर्श पत्र को मंजूरी दे दी थी.
नए नियमों के मुताबिक, ऐसे विदेशी निवेशक उच्च जोखिम में माने जाएंगे, जिनकी अपनी पूंजी का 50 फीसदी या उससे ज्यादा हिस्सा किसी एक कॉपरपोरेट समूह में होगा या फिर भारतीय बाजार में उनका निवेश 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा होगा.
सेबी को क्या फायदा होगा
इनके जरिए सेबी किसी एक समूह या इक्विटी पर केंद्रित फंड या निवेशक के पीछे खड़े मुख्य लाभार्थी की जानकारी हासिल कर पाएगी. इससे सेबी को उस निवेश से जुड़े जोखिम या फिर निवेश के उद्देश्य की सही तस्वीर मिल सकेगी. सेबी ने कहा कि कुल एफपीआई इक्विटी एसेट्स का छह फीसदी और घरेलू इक्विटी मार्केट के मूल्य का एक फीसदी से कम उच्च जोखिम वाले विदेशी संस्थागत निवेश में आ सकता है.