रामलला गर्भगृह में एक दिन भी नहीं रुकी पूजा

अयोध्या. राम जन्मभूमि पर नए और भव्य मंदिर के निर्माण के लिए अस्थायी मंदिर और विराजमान रामलला को स्थानान्तरित करने के बाद भी जन्मभूमि (गर्भगृह) की पूजा एक दिन भी बंद नहीं हुई. नए अस्थायी मंदिर में रामलला की पूजा-अर्चना के बाद पुजारी नियमित रूप से दो बार जन्मभूमि जाते हैं और विधिवत पूजन करते हैं.
अस्थायी मंदिर 25 मार्च 2020 को गर्भगृह से 200 मीटर दूर स्थानान्तरित किया गया था, जिससे जन्मभूमि पर भव्य मंदिर आकार ले सके. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विराजमान रामलला के विग्रह को टेंट से निकालकर नए अस्थायी मंदिर में रजत सिंहासन पर स्थापित किया था. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से नियुक्त रामलला के पुजारी प्रेमचंद तिवारी ने बताया कि रामलला की जन्मभूमि वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर में है, फिर भी पूजा-अर्चना अनवरत जारी रखी गई है. अस्थायी मंदिर में मंगला आरती के बाद दो पुजारी जल और पूजा की थाल लेकर निर्माणाधीन मंदिर में जन्मभूमि पर जाते हैं. वहां मंत्रों के साथ धूप-दीप से आरती की जाती है.
कुछ माह तक जन्मस्थान पर गो पूजा भी हुई
पुजारी प्रेमचंद तिवारी बताते हैं कि अस्थायी मंदिर स्थानान्तरित किए जाने के बाद भूमि के समतलीकरण की प्रक्रिया के दौरान जन्मभूमि पर गो पूजा भी की जाती रही. प्रारंभ में रंगमहल मंदिर की उन गो माता को जन्मस्थान पर लाकर उनकी पूजा की जाती रही, जो रंगमहल मंदिर में वर्षों से परिक्रमा करती रही हैं. जन्मभूमि पर आने वाले दर्शनार्थी इन गो माता को देखकर श्रद्धानवत होते रहे हैं. बाद में एक अन्य गो माता को दोनों समय लाकर उनकी पूजा की गई.