आजकल जैतून से लेकर सरसों तेल तक के इतने प्रकार और ब्रांड मौजूद हैं कि उनमें से खाना पकाने के लिए सही तेल का चुनाव करना बहुत ही कठिन काम लगता है. विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक कुकिंग ऑयल के अपने खास गुण होते हैं, जो हमारी अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमेशा एक ही प्रकार के तेल का इस्तेमाल करने के बजाय अलग-अलग प्रकार के कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन कोई भी तेल चुनने से पहले उस तेल के बारे में कुछ बातें जान लें.
कैसे बनता है तेल?
रिफाइंड, कोल्ड प्रोसेस्ड, एक्स्ट्रा वर्जिन, ये कुकिंग ऑयल के कुछ प्रकार हैं. दरअसल, खाने योग्य विभिन्न बीजों में विटामिन और मिनरल्स समेत अन्य पोषक तत्व होते हैं. पर, इन बीजों से तेल निकालने की प्रक्रिया उनकी पोषकता को प्रभावित करती है. किसी भी प्रकार के बीजों से निकलने वाला पहला तेल वर्जिन ऑयल होता है, जिसमें ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. लेकिन इन बीजों से और ज्यादा मात्रा में तेल निकालने के लिए जिस प्रक्रिया को अपनाया जाता है, उससे तेल की पोषकता नष्ट होती है और तेल विषाक्त हो जाता है.
सर्दियों में क्या चुनें
शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल सर्दियों में विशेष रूप से लाभकारी होता है. शुद्ध देसी घी में विटामिन-ए, सी और ब्यूट्रिक एसिड पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में मदद करता है. साथ ही देसी घी का सेवन कब्ज से भी निजात दिलाता है. लेकिन इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए, अन्यथा अपच और मोटापे सहित बहुत सी अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं. सर्दियों में सरसों के तेल के सेवन पर भी जोर देना चाहिए. सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है, जो ठंडे मौसम में शरीर को गर्म रखने में मदद करती है. इसी प्रकार सर्दियों में तिल के तेल तथा मूंगफली के तेल का सेवन भी फायदा देता है.
तेल और वसा का कनेक्शन
खाना पकाने के सभी तेलों में विभिन्न प्रकार के फैट्स अलग-अलग मात्रा में मौजूद होते हैं, जैसे- सैचुरेटेड फैट्स यह सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली वसा की श्रेणी में आता है. इसलिए हमें कम मात्रा में सैचुरेटेड फैट्स का सेवन करना चाहिए, मतलब शरीर की दैनिक जरूरत का मात्र सात फीसदी हमें सैचुरेटेड फैट्स से पूरा करना चाहिए. फुल क्रीम दूध, मक्खन, पनीर, रेड मीट, इसके मुख्य स्रोत हैं.
ट्रांस फैट्स डिब्बाबंद आहार या प्रोसेस्ड फूड जैसे चिप्स, नमकीन, कुकीज जैसी चीजों में हाइड्रोजेनेटेड ऑयल बहुत ज्यादा होता है. इसके अलावा तले-भुने खाद्य पदार्थों में भी ट्रांस फैट्स की भरमार होती है. इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें.
मोनोसैचुरेटेड फैट्स इसे गुड फैट भी कहा जाता है. विभिन्न तरह के मेवों, जैतून और एवाकाडो में इस फैट्स की भरमार होती है. बेकिंग में बादाम या एवाकाडो ऑयल का इस्तेमाल करना ठीक होता है. मूंगफली के तेल को भी अच्छा माना जाता है.
पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स ओमेगा-3, ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर ये फैट अखरोट, चिया सीड्स, फ्लैक्स सीड्स सालमन मछली में पाए जाते हैं. ये दिल की सेहत के लिए बेहद जरूरी होते हैं.
समझें स्मोक प्वॉइंट
जिस तापमान तक गर्म होकर किसी तेल से धुआं निकले, उसे उस कुकिंग ऑयल का स्मोक प्वॉइंट कहते हैं. असल में अपने स्मोक प्वॉॅइंट तक गर्म हो जाने के बाद तेल से हानिकारक धुआं व फ्री रेडिकल्स निकलने लगते हैं, इसलिए डीप फ्राईंग के लिए उच्च स्मोकिंग प्वॉइंट वाले तेल ज्यादा बेहतर माने जाते हैं. कोई तेल जितना ज्यादा रिफाइंड होगा, उसका स्मोकिंग प्वॉइंट भी उतना ही ऊंचा होगा.
● पाम ऑयल, सूरजमुखी के बीजों का तेल, लाइट ऑलिव ऑयल, बादाम का तेल और एवाकाडो ऑयल हाई स्मोकिंग प्वॉइंट वाले तेल होते हैं.
● मूंगफली, सरसों, कैनोला आदि मीडियम हाई स्मोकिंग प्वॉइंट वाले तेल होते हैं, जो बेकिंग और भूनने के लिहाज से बेहतर होते हैं.
तरह-तरह के तेल
● सरसों के तेल में ओमेगा-3 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह भूख भी बढ़ाता है.
● हड्डियों को मजबूती देने में तिल के तेल से बेहतर कुछ नहीं. इसमें मौजूद पोषक तत्व हड्डियों के विकास के साथ मानसिक तनाव कम करते हैं.
● जैतून तेल में मौजूद अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल को काबू में रखने के साथ-साथ दिल की सेहत भी बनाए रखता है.
● नारियल तेल में पाया जाने वाला सैचुरेटेड फैटी एसिड शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के साथ कोलेस्ट्रोल पर भी नियंत्रण रखता है.
● एवाकाडो ऑयल में विटामिन-ई होता है, जो आंखों के लिए लाभकारी माना जाता है.
● दिल की सेहत के लिहाज से ओमेगा-3 युक्त कैनोला तेल काफी फायदेमंद है, जिसमें सैचुरेटेड फैट अन्य तेलों के मुकाबले कम होता है.