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टिटनेस-डिप्थीरिया का बूस्टर टीका 16 से 18 साल वालों को भी लगेगा

टिटनेस और डिप्थीरिया की बीमारी से बचाने के लिए टीडी वैक्सीन 16 से 18 साल की उम्र के युवओं को देने की सिफारिश की गई है. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने अपनी ताजा गाइडलाइन में यह सुधार किया है. अभी तक बूस्टर खुराक के रूप में बच्चों को टिटनेस, डिप्थीरिया और काली खांसी का टीका टीडेप 10 साल की उम्र में लगाया जाता था.

क्या है डिप्थीरिया

डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग है, कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया बैक्टीरिया के कारण होता है. यह अत्यधिक संक्रामक है और सांस लेने, खांसने, बोलने और यहां तक कि हंसने के दौरान बूंदों के माध्यम से फैल सकता है. यह रोग अक्सर गले में खराश, बुखार और गले पर स्यूडोमेम्ब्रेन नामक एक जुड़ी हुई झिल्ली के विकास से जुड़ा होता है. बैक्टीरिया एक्सोटॉक्सिन भी पैदा करता है जो हृदय, फेफड़े, गुर्दे और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है.

बीमारी बढ़ने के कारण कदम उठाया

देश के कई राज्यों में 18 से 45 साल की उम्र में डिप्थीरिया के मामले पाए गए हैं. हैदराबाद के स्कूलों में 2400 बच्चों पर किए अध्ययन में पता चला है कि सिर्फ 56 फीसदी बच्चों में डिप्थीरिया और 64 फीसदी बच्चों में ही टिटनेस से सुरक्षा वाले एंटी बॉडी मौजूद थे. ऐसे में यह बदलाव सुझाया गया है.

बच्चों में तीन खुराक जरूर लगवाएं

बच्चों में डिप्थीरिया और टिटनेस से बचाव के लिए जन्म के बाद तीन खुराक लगती हैं. इनमें डीपीटी के टीके की पहली खुराक जन्म के छह सप्ताह बाद, दूसरी खुराक 10 सप्ताह बाद और तीसरी खुराक 13 सप्ताह बाद लगती हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर यह टीका लगवाया जा सकता है.

यह हैं लक्षण

● सांस लेने में कठिनाई

● गर्दन में सूजन, ठंड लगना

●बुखार, गले में खराश, खांसी

ऐसे फैलता है रोग

● इस बीमारी का संक्रमण खांसने और छींकने से फैलता है

● इसके संक्रमण जीवाणु पीड़ित व्यक्ति के मुंह, नाक और गले में रहते हैं

● यदि इसके इलाज में देरी हो जाये तो जीवाणु पूरे शरीर में फैल जाते हैं

● बारिश के मौसम में इसके जीवाणु सबसे अधिक फैलते हैं

इन्हें सबसे ज्यादा खतरा

डिप्थीरिया वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 12 साल तक के बच्चों में इसके होने का खतरा अधिक होता है. जिन बच्चों को इसका टीका नहीं लगता उन्हें किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर इसका खतरा अधिक हो जाता है.

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