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एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने इंसान के दिमाग में चिप लगाकर दुनिया को चौंका दिया है. मस्क ने इस चिप का नाम टेलीपैथी रखा है. यदि अध्ययन में सब कुछ ठीक रहा, तो इसे बाजार में आने में पांच से 10 साल तक का समय लगेगा. जानिए मनुष्य पर किए जा रहे पहले परीक्षण के बारे में…
कितना समय लगेगा?
आमतौर पर, इस प्रकार का अध्ययन 5-10 रोगियों पर किया जाता है और एक वर्ष तक चलता है. अगले चरण में इसका व्यवहारिक अध्ययन किया जाएगा. उसके अगले चरण में दवा के लिए एक और बार अध्ययन किया जाएगा. यदि सब कुछ ठीक रहा, तो इसे बाजार में आने में पांच से 10 साल तक का समय लगेगा. मस्क का दावा है कि यह चिप लोगों को अपने दिमाग से कंप्यूटर को नियंत्रित करने में सक्षम बनाएगा.
इंसानी दिमाग में चिप कानूनी रूप से कितना सही
अलग-अलग जानवरों पर प्रत्यारोपण के परीक्षणों के बाद, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पिछले साल मई में मनुष्यों पर इसके परीक्षण की मंजूरी न्यूरालिंक को दी थी. फिजिशियन कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन जैसे समूहों ने जानवरों सर्जिकल कार्य के लिए कंपनी की भारी आलोचना भी की थी. उनका आरोप था न्यूरालिंक की कई सर्जरी विफल रही थी.
पहले ऐसा कब हुआ?
न्यूरालिंक दशकों की प्रौद्योगिकी पर आधारित कंपनी है. इसका उद्देश्य संकेतों की व्याख्या करने और लकवा, मिर्गी और पार्किंसंस रोग जैसी स्थितियों का इलाज करने के लिए मानव मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित करना है. इलेक्ट्रॉड को पहली बार 2004 में मनुष्य में प्रदर्शित किया गया था. इस फील्ड में कई और कंपनियां भी आई हैं जैसे सिंक्रोन और प्रिसिजन न्यूरोसाइंस.
परीक्षण का उद्देश्य
इस परीक्षण का उद्देश्य कंपनी को अपने डिवाइस के लिए सही डिजाइन तैयार करने में मदद करना है. पिछले साल, न्यूरालिंक ने कहा था कि वह इस साल 11 सर्जरी करेगा.
न्यूरालिंक डिवाइस के बारे में क्या अलग है?
न्यूरालिंक डिवाइस में 1,000 से अधिक इलेक्ट्रोड होते हैं. यह अन्य प्रत्यारोपणों की तुलना में कहीं अधिक है. यह व्यक्तिगत न्यूरॉन्स को लक्षित करता है, जबकि कई अन्य उपकरण न्यूरॉन्स के समूहों से संकेतों को टारगेट करते हैं.