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ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद का दो चरणों में किया गया था निर्माण

ज्ञानवापी परिसर में पुराने ढांचे के ऊपर मस्जिद का निर्माण दो चरणों में हुआ था. पहले चरण में पश्चिमी दीवार के ऊपर मस्जिद, उसके गुंबद और मीनारों का निर्माण हुआ.

शिलालेखीय रिकॉर्ड के अनुसार मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल में सन 1676-77 के बीच हुआ. यह दावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सर्वे रिपोर्ट में किया है.

एएसआई ने रिपोर्ट के पहले अध्याय के पृष्ठ संख्या 50 पर उल्लेख किया है कि मस्जिद की मौजूदा संरचना पश्चिमी दीवार के पूर्वी हिस्से के सामने बनाई गई थी. वह संरचना एक ही चरण में खड़ी नहीं हुई. पहले चरण में गुंबद और मीनारों का निर्माण हुआ था. दूसरे चरण में (1792-93 ई.) आगे के गलियारा व अन्य हिस्सों का निर्माण और मरम्मत की गई थी. दूसरे चरण में ही सहन भी बना था. नीचे के तहखानों को तभी दो हिस्सों में बांटकर नींव दी गई थी. जीपीआर सर्वे में भी दक्षिणी किनारे पर तहखानों जैसी आकृति का संकेत हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद के आगे खुले मंच का पूरब की ओर विस्तार अलग-अलग समय पर किया गया. उत्तर-दक्षिण कोनों में नीचे मिले पिलर व शटरिंग समकालीन के बताए गए हैं. उनकी निर्माण शैली में भी समानताएं हैं. उनसे पता चलता है कि खुला मंच पूरब की ओर तहखाने तक फैला हुआ था.

ज्ञानवापी एएसआई सर्वे रिपोर्ट-2

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भी सर्वे रिपोर्ट देने को कहा

सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रशांत सिंह की फास्ट ट्रैक कोर्ट (द्रुतगामी न्यायालय) ने भी ज्ञानवापी परिसर में हुए एएसआई सर्वे की रिपोर्ट मंगलवार को सभी पक्षों को सौंपने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस संबंध में आपत्ति आदि की सुनवाई के लिए पांच फरवरी की तिथि दी है.

उल्लेखनीय है कि 1991 में दाखिल प्राचीन लार्ड स्वयम्भू आदिविश्वेश्वर मंदिर वाद प्रकरण में हाईकोर्ट के निर्देश पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने फास्ट ट्रैक कोर्ट से एएसआई सर्वे रिपोर्ट की मांग की थी. अदालत के निर्देश पर एएसआई ने गत 24 जनवरी को एक अन्य मामले में हुए वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट अदालत में सौंपी थी.

ज्ञानवापी में लखौरी ईंटों से बनी हैं तीन कब्रें

एएसआई सर्वेक्षण के अनुसार बाड़ (बैरिकेडिंग) वाले क्षेत्र में मौजूद पश्चिमी कक्ष में तीन कब्रें हैं. पश्चिमी कक्ष में कब्र केंद्रीय कक्ष के सील प्रवेश द्वार के सामने हैं. दोनों कब्रें उत्तर-दक्षिण की ओर एक-दूसरे से सटी हुई हैं. पहली कब्र का पत्थर अखंड प्रतीत होता है, जिसमें दरारें पड़ गई हैं. दूसरी कब्र पहली कब्र के पश्चिम में स्थित हैं. उसका ऊपरी हिस्सा उठा हुआ है. उसे ऊंचाई देने के लिए आधुनिक ईंटों व सीमेंट का उपयोग किया गया है. तीसरी कब्र पश्चिमी छोर पर दुकान संख्या-1 के पास है. कब्रों के निर्माण में लखौरी ईंटों का उपयोग हुआ है.

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