
नई दिल्ली: भारत और संयुक्त राज्य अमीरात (यूएई) के राजनयिक एवं वाणिज्यिक संबंधों में लगातार प्रगाढ़ता बढ़ रही है. यही कारण है कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच लगातार मेल-मुलाकातों का दौर भी बढ़ रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 फरवरी को यूएई की यात्रा पर जाएंगे. पिछले सात महीनों के दौरान यह पांचवां मौका होगा जब दोनों राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात होगी.विदेश मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो पिछले दस सालों में अमेरिका के बाद यदि किसी देश के साथ संबंधों में सर्वाधिक प्रगाढ़ता आई है तो वह यूएई है. यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौता और द्विपक्षीय निवेश समझौता भी है जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार में बढ़ोत्तरी हुई है. यूएई और भारत के बीच मई 2022 में मुक्त व्यापार समझौता लागू हुआ था जिसके एक साल के बाद ही व्यापार बढ़कर 84.5 अरब डालर तक पहुंच गए था और 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी.
तेल एवं ऊर्जा क्षेत्र में यूएई भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इसके अलावा जी-20 के दौरान घोषित मिडिल ईस्ट कारीडोर भी महत्वपूर्ण है जो यूएई, सऊदी, जार्डन और इजरायल के जरिये भारत को सीधे यूरोप से जोड़ेगा.
यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायेद अल नहयान की मुलाकातों की बात करें तो पिछले सात महीनों में चार बार मिल चुके हैं. फ्रांस की यात्रा से लौटते हुए 15 जुलाई को मोदी यूएई गए थे. इसके बाद यूएई के राष्ट्रपति 9-10 सितंबर को जी-20 बैठक में हिस्सा लेने भारत आए थे. एक दिसंबर को जलवायु वार्ता के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी. पिछले महीने बाइब्रेंट गुजरात में हिस्सा लेने के लिए यूएई के राष्ट्रपति गांधीनगर आए थे. अब प्रधानमंत्री फिर से यूएई के दौरे पर जा रहे हैं. जिस वर्ल्ड गवर्मेंट समिट में वे हिस्सा ले रहे हैं, वह भी बेहद प्रतिष्ठित है. 2018 में भी प्रधानमंत्री मोदी को उसमें आमंत्रित किया गया था.