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चंद्रयान लैंडिंग साइट का नाम ‘शिव शक्ति’

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का नाम आधिकारिक तौर पर ‘शिव शक्ति’ कहलाएगा. गत 19 मार्च को इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (आईएयू) ने नाम को मंजूरी दे दी. पिछले साल 26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लैंडिंग साइट का नाम शिव शक्ति रखा था, जिसके सात महीने के बाद आईएयू ने स्थल के नए नाम की सहमति दी.

गजेटियर ऑफ प्लैनेटरी नोमेनक्लेचर के अनुसार, आईएयू वर्किंग ग्रुप फॉर प्लैनेटरी सिस्टम नोमेनक्लेचर ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के लैंडिंग स्थल के नए नाम को स्वीकार कर लिया. 23 अगस्त, 2023 को विक्रम लैंडर की चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग हुई थी.

तीन दिन बाद बेंगलुरु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क में शिव शक्ति नाम का ऐलान किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प है और शक्ति हमें उन संकल्पों को पूरा करने की ताकत देती है. चंद्रमा का यह शिव शक्ति प्वाइंट हिमालय से कन्याकुमारी तक जुड़ाव का एहसास कराता है.

चंद्रयान-1 के स्थल का नाम जवाहर प्वाइंट

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट-लैंडिंग से पंद्रह साल पहले इसरो ने चंद्रयान-1 को चांद पर भेजा था. इसने चंद्रमा पर पानी की जानकारी दी थी. इस उपलब्धि को देखते हुए उस स्थल को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ना पर ‘जवाहर स्थल’रखा गया था.

चंद्रयान-2 के लैडिंग स्थल को मिला तिरंगा नाम

पीएम मोदी ने उस वक्त चंद्रयान-2 की लैंडिंग स्थल का भी नामकरण किया था. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर चंद्रयान-2 ने अपने पैरों के निशान छोड़े थे, उसे तिरंगा कहा जाएगा. यह भारत के प्रयास के लिए प्रेरणा के रूप में काम करेगा.

क्या है शिव शक्ति बिंदु

आईएयू ने अपने गजेटियर में शिव-शक्ति नाम प्रकाशित किया है, उसमें बताया कि यह भारतीय पौराणिक कथाओं से लिया गया मिश्रित शब्द है, जो प्रकृति के पुल्लिंग (शिव) और स्त्रत्त्ी (शक्ति) के स्वरूप को दर्शाता है. अब यह नाम चंद्रमा पर स्थल के रूप में जाना जाएगा.

पिछले साल 14 जुलाई को हुआ था लॉन्च

इसरो ने चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया था और विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर लैंडिंग की थी. इस मिशन प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर नाम के तीन हिस्से थे.

चीन ने भी दर्ज कराया नाम

चीन ने भी चंद्रमा पर स्थल का नामकरण कराया है. चीन का मिशन चांग-ई-5 चांद पर 1 दिसंबर, 2020 को उतरा था. इसकी लैंडिंग साइट का नाम स्टेटियो तियानचुआन दिया गया. तियानचुआन एक चीनी नक्षण नाम से आया है, जिसका अर्थ है आकाशगंगा में नौकायान करने वाला जहाज.

चांद के कई क्रेटरों का नाम भारतीय वैज्ञानिकों पर

स्थल के अलावा चांद पर मौजूद ऐसे कई क्रेटर (गड्ढे या उबड़-खाबड़ जगह) हैं, जिनका नाम भारतीय वैज्ञानिकों के नाम पर रखा गया. इसमें साराभाई क्रेटर, मित्रा क्रेटर, भाभा क्रेटर, सीवी रमन क्रेटर और जेसी बोस क्रेटर शामिल हैं.

नामकरण से होती है आसानी

अंतरिक्ष में ग्रहों और उपग्रहों का नाम पृथ्वी पर स्थानों के नामकरण के समान है. यह ग्रहों की विशिष्ट विशेषताओं को पहचानने और उनके बारे में बात करने में मदद करता है. आईएयू द्वारा बनाई गई सूची में पिछले 105 साल से ग्रहों, चंद्रमा और अन्य रिंग प्रणालियों पर कई स्थानों को दिए गए नाम शामिल हैं. इन नामों से वैज्ञानिकों को स्थानों का पता लगाना और वर्णन करना आसान हो जाता है.

क्या काम करता है आईएयू

इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (आईएयू) की स्थापना वर्ष 1919 में हुई थी. इसका मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शोध, कम्युनिकेशन, एजुकेशन और डेवलपमेंट सहित इसके सभी पहलुओं में खगोल विज्ञान को बढ़ावा देना है. आईएयू के पास सभी नामों का डाटाबेस गजेटियर ऑफ प्लेनेटरी नॉमनक्लेचर पर प्रकाशित होता है.

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