राष्ट्रीय

रेलवे कर रहा अमृत यार्ड मॉडल पर काम

भारतीय रेलवे : अमृत भारत स्टेशनों और ट्रेनों के बाद रेल मंत्रालय अब अमृत यार्ड की अवधारणा पर काम कर रहा है. यह योजना रेल नेटवर्क के रेलवे यार्डों में भीड़ कम करने के लिए बनाई जा रही है, जहां अभी क्षमता की कमी हो गई है. इसकी वजह से पिछले कुछ साल में हुए रेल ट्रैक के विस्तार के बावजूद रेलों की रफ्तार और आवाजाही प्रभावित हो रही है.

अमृत यार्ड योजना को मूर्त रूप देने के लिए मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड और सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (क्रिस) के वरिष्ठ अधिकारियों की समिति गठित की है.

अधिकारियों के मुताबिक यह अवधारणा स्मार्ट यार्ड मॉडल से ली गई है, जिसे रेलवे यार्ड से ट्रेन की निकासी का वक्त कम करने के लिए पिछले कुछ समय से लागू करने की कवायद कर रहा है. आवाजाही की मात्रा, यातायात प्रबंधन की नीतियों जैसे होने वाली देरी के प्रबंधन, भौतिक लेआउट, इंटरलॉकिंग, ऑटोमेशन तकनीक और रफ्तार को ध्यान में रखते हुए यार्डों की क्षमता के आकलन के लिए समिति का गठन किया गया है.

रेलवे इस समय सॉफ्टवेयर पर आधारित यार्ड मोबिलिटी मॉड्यूल तैयार करने पर भी विचार कर रहा है. इसे किसी भी यार्ड डिजाइन में आवाजाही पर नजर रखने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है. इसके लिए सभी डेटा सिगनलों के आदान प्रदान और बर्थिंग ट्रैक ऑक्युपेशन को मुख्य स्थान पर स्थित एक सर्वर पर लाने की जरूरत होगी.

अधिकारियों के मुताबिक रियल टाइम सिमुलेटर से रेलवे को उन जंक्शनों पर आवाजाही में सुधार करने में मदद मिलेगी, जिनकी क्षमता शहरों के बीचोबीच होने और वहां जमीन उपलब्ध न होने के कारण नहीं बढ़ाई जा सकती.

इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘कई कवायदें की गई हैं, लेकिन कई व्यवधानों की वजह से प्रमुख जंक्शनों पर यार्ड की क्षमता नहीं बढ़ाई जा सकी. पुरानी दिल्ली स्टेशन जैसे संतृप्त हो चुके प्राथमिक यार्डों की क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जिनमें यार्ड के परिचालन का ऑटोमेशन और इन यार्डों से कुछ दूर नया यार्ड बनाया जाना शामिल है.’

उन्होंने कहा, ‘ट्रैक में तेजी से वृद्धि हो रही है, वहीं रेलगाड़ियों की आवाजाही बेहतर नहीं हो सकी है. इसकी वजह यह है कि इन बढ़े ट्रैकों पर चलने वाली ट्रेनों को उन जंक्शनों पर रुकना पड़ता है, जिनकी क्षमता सीमित है. इसकी वजह से आवाजाही में देरी हो रही है.’

यार्ड की मोबिलिटी के आकलन के लिए समिति बेहतरीन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का अध्ययन कर रही है. इनके अध्ययन के बाद समिति सिगनलिंग सिस्टम के डेटा के मानकीकरण की सिफारिश करेगी.

बहरहाल रेलवे के पूर्व अधिकारियों ने कहा कि जब तक पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (पूर्व में मुगलसराय) सहित अन्य प्रमुख जंक्शनों के यार्ड रीमॉडलिंग का काम पूरा नहीं कर लिया जाता है, तब तक बोर्ड के स्तर से होने वाले हस्तक्षेप का कम ही लाभ होगा.

भारतीय रेलवे नेटवर्क में डीडीयू जंक्शन सबसे बड़ा व्यवधान का केंद्र है, क्योंकि यहां से बड़ी संख्या में रेलगाड़ियां गुजरती हैं. यह स्टेशन एशिया का सबसे बड़ा मार्शलिंग यार्ड है, जो एक महीने में 500 से ज्यादा रेलगाड़ियों को सेवा प्रदान करता है. खबर लिखे जाने तक इस मसले पर रेल मंत्रालय से मांगी गई जानकारी का कोई उत्तर नहीं मिल सका.

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