छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों का कमाल: महिला के हार्ट में लगाया तैरता हुआ लीडलेस पेसमेकर
रायपुर. नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसीआई में एक महिला के हार्ट में तैरता हुआ लीडलेस पेसमेकर लगाया गया. 30 वर्षीय महिला जन्मजात हार्ट की बीमारी एब्स्टीन एनामली से पीड़ित थी. महिला में पहले ही वॉल्व रिप्लेसमेंट किया जा चुका है. हार्ट की नसें भी पूरी तरह ब्लॉक हो चुकी थीं. इन सब जटिलताओं के कारण सामान्य पेसमेकर लगाना संभव नहीं था. इसलिए गर्दन की नस यानी जुगलर वेन के रास्ते हार्ट में तैरने वाला पेसमेकर लगाकर महिला को नया जीवन दिया गया. डॉक्टरों का दावा है कि देश के किसी भी सरकारी अस्पताल में संभवत: यह पहला केस हो सकता है. कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी व महिला का इलाज करने वाले डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि सबसे पहले गर्दन की नस दाएं जुगलर वेन के रास्ते 23 फ्रेंच का शीथ डाला गया. उसके बाद माइक्रा कैथेटर के द्वारा लीडलेस पेसमेकर को राइट वेंट्रीकल तक ले जाया गया. फिर हार्ट के सारे पैरामीटर चेक किया गया. सभी पैरामीटर ठीक मिलने के बाद राइट वेंट्रीकल में तैरता हुआ लीडलेस पेसमेकर को छोड़ा गया. इस केस में काडियोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल ओस्तवाल व डॉ. शिव कुमार शर्मा, डॉ. प्रतीक गुप्ता, कैथलैब टेक्नीशियन आईपी वर्मा, नर्सिंग स्टाफ नीलिमा शर्मा, गौरी, रौशनी, वंदना, डिगेंद्र, खेम, पूनम, महेंद्र का सहयोग रहा.
चार सफल ऑपरेशन हो चुके कार्डियक सर्जरी विभाग में
एसीआई के सीटीवीएस विभाग में एब्सटीन एनामली के 4 सफल ऑपरेशन हो चुके हैं. विभाग के एचओडी डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है. इसका ऑपरेशन बहुत ही जटिल व गिने चुने अस्पतालों में दक्ष हार्ट सर्जन करते हैं. एक माह पहले ऐसी ही सर्जरी की गई थी. इस प्रकार के ऑपरेशन के बाद लगभग 50 फीसदी मरीजों में कंडक्शन ब्लॉक की आशंका होती है. जहां पर कृत्रिम वाल्व लगाया जाता है, वहां पर हार्ट के कंडक्शंस सिस्टम का सर्किट होकर गुजरता है. इसलिए कंडक्शन ब्लॉक की आशंका बढ़ जाती है. यदि हार्ट रेट बहुत ही कम है तो ऐसे मरीजों में पेसमेकर लगाना जरूरी हो जाता है. महिला के केस में ऐसा ही हुआ है.