12 फीट के बस्तरिया बैल की कलाकृति स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा पर लगाई
रायपुर: स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा को छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति के अनुरूप एक नया रूप देने के लिए मूर्तिकार अशोक देवांगन ने बस्तर आर्ट की कलाकृति लगाई गई है, इससे पहले घोड़े की कलाकृति बनाई थी. बैल की कलाकृति के लगने से एयरपोर्ट परिसर की सुंदरता में चार चांद लग आए हैं. जो अब वहां की पहचान बन चुकी हैं. इन प्रतिमाओं की सुंदरता और आकर्षण लोगों को खींचते हैं, वहां यात्री सेल्फी लेने के लिए रुकते हैं.
इनका योगदान रहा
बस्तरिहा बैल को बनाने के लिए पूर्णानन्द देवांगन, राजेंद्र कोलियारा किल्लेकोड़ा, विनोद, डोमन एवं अमित ने अपनी भूमिका निभाई है. छत्तीसगढ़ी कला शैली में लावण्य युक्त प्रतिमा बनाने पर ललित कला अकादमी में छत्तीसगढ़ के प्रथम बोर्ड मेबर डॉ. अंकुश देवांगन, प्रयात मॉडर्न आर्ट चित्रकार डीएस विद्यार्थी, मोहन बराल, प्रवीण कालमेघ, मीना देवांगन, साहित्यकार मेनका वर्मा एवं ललित कला अकादमी से जुड़े अनेक कलाकारों ने उन्हें बधाई दी है.
रेलवे के व्यर्थ पड़े लौह स्क्रेप से बनाते हैं मूर्ति
मूर्तिकार देवांगन ने रेलवे के व्यर्थ पड़े लौह स्क्रेप से देश के कई राज्यों में सुंदर व कालजयी कृतियों का निर्माण किया है. इसके कारण छत्तीसगढ़ के जनरल नॉलेज बुक में उन्हें कचरे से सोना बनाने वाले कलाकार के रूप में उल्लेखित किया जाता है. वे दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हैं और रेलवे के विभिन्न विभागों में सौंदर्यीकरण का महती कार्य कर रहे हैं. स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा में उन्होंने दो विशालकाय घोड़ों की कलाकृति बनाई है, जो आज एयरपोर्ट की पहचान बन चुकी है. एयरपोर्ट से निकलते ही तीन मंजिला इमारत जितने ये घोड़े मन को मोह लेते हैं.
बैल को दिया मिट्टे का आकार
25 वर्षो से मूर्तिकार अशोक देवांगन भारतीय कला जगत के एक शीर्ष स्थान पर हैं. वे कला-साधना में लगे हुए हैं और देशभर में एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बना चुके हैं. उन्होंने बताया कि बस्तरिहा बैला कलाकृति को पहले मिट्टी से बनाया गया है. मिट्टी से बनाई गई इस कलाकृति का अंतिम संशोधन फाइबर कास्टिंग के माध्यम से किया गया है, जो इसे और भी स्थायी बनाता है.