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रेलवे ने कोच फैक्ट्री से कहा- दो ऐसी ट्रेनें बनाओ जो 250 की रफ्तार से दौड़ सकें

पहली बार, रेल मंत्रालय ने अपनी प्रोडक्शन यूनिट, चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली दो ट्रेनें बनाने का निर्देश दिया है. रेलवे बोर्ड ने 4 जून के एक पत्र में आईसीएफ को 2024-25 के लिए अपने प्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत इन दो ट्रेनों को विकसित करने के लिए कहा है.

किस धातु की बनी होंगी 250 की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेनें?बनाई जाने वाली ये ट्रेनें स्टील की बनी होंगी और इनकी अधिकतम गति 250 किमी प्रति घंटा और रनिंग स्पीड 220 किमी प्रति घंटा होगी. इन्हें स्टैंडर्ड गेज पर बनाया जाएगा. अधिकारियों के अनुसार, ये ट्रेनें मौजूदा वंदे भारत ट्रेनों को और भी तेज बनाने की कोशिश का हिस्सा हैं. ये आठ डिब्बों वाली ट्रेनें होंगी.

गौर से देखें तो पिछले एक साल से रेलवे राजस्थान में एक खास ट्रैक बना रहा है, ताकि वो तेज रफ्तार वाली ट्रेनों को बनाने की अपनी योग्यता जांच सके और भविष्य में वंदे भारत ट्रेनों को दूसरे देशों को भी बेच सके. गौरतलब है कि भारत में अभी जो वंदे भारत चल रहीं हैं उन्हें विदेश भेजने के लिए उन्हें थोड़ा बदलना पड़ता है क्योंकि वहां ये खास “स्टैंडर्ड गेज” वाली पटरियां इस्तेमाल होती हैं.

अभी भारत में कोई भी ट्रेन इतनी तेज रफ्तार से नहीं दौड़ सकती.

ये प्रोजेक्ट काफी चुनौतीपूर्ण है: सुधांशु मणि     
                  ये नई खबर सुनकर रेलवे के जानकार थोड़े सशंकित हैं. उनका मानना है कि ये प्रोजेक्ट काफी चुनौतीपूर्ण है. सुधांशु मणि, जो पहले ICF के मुख्य अधिकारी थे और जिन्होंने पहली वंदे भारत ट्रेनों को बनाने का नेतृत्व किया था, का कहना है कि “वंदे भारत की रफ्तार अभी 180 किमी प्रति घंटा है और मार्च 2025 तक 250 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली मानक गेज वाली ट्रेन बनाना नामुमकिन सा लगता है.”

रेल मंत्री (रेलवे के कार्यवाहक मंत्री, अश्विनी वैष्णव) का कहना है कि सरकार रेल के लिए हाई-स्पीड टेक्नॉलजी (तेज रफ्तार वाली ट्रेन टेक्नॉलजी) को भारत में ही बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को थोड़ी आज़ादी दी जाए और एक अच्छी लीडरशीप टीम बनाई जाए, तो शायद तीन-चार साल में ये नई और तेज ट्रेनें बना पाएंगे. अगर ऐसा हो पाता है तो ये भारत के रेलवे के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.

लेकिन उन्होंने ये भी माना कि सिर्फ ऊपर से आदेश देना या मुश्किल लक्ष्य देना ही काफी नहीं है. अच्छा काम करने के लिए वातावरण बनाना ज़रूरी है.

हाई स्पीड ट्रेन बनाने की कोशिश में भारत 
              भारत सरकार हाई-स्पीड ट्रेनों को बनाने की कोशिश कर रही है. मुंबई से अहमदाबाद जाने वाले रास्ते पर ये नई ट्रेनें बनाई जा रही हैं, और इनको बनाने के लिए जापान की टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वही टेक्नॉलजी जो वो अपने शिंकानसेन (Shinkansen) बुलेट ट्रेनों में इस्तेमाल करते हैं. इस प्रोजेक्ट से भारत को ये टेक्नॉलजी सीखने में भी मदद मिल रही है ताकि भविष्य में देश में ही हाई-स्पीड ट्रेनें बनाई जा सकें.

सुधांशु मणि का मानना है कि रेलवे विभाग द्वारा ICF को दी गई स्पेसिफिकेशन्स (निर्माण संबंधी विनिर्देश) भी एक चुनौती बन सकती हैं. उनका कहना है कि “इस तरह की तेज रफ्तार वाली ट्रेन को स्टेनलेस स्टील से बनाना एक अस्थायी और पीछे की ओर जाने वाला कदम है.

अगर ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि एल्युमिनियम के सिर्फ दो डिब्बे बनाने के लिए एल्युमिनियम बनाने की फैक्ट्री लगाना सही नहीं है, तो ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि सही तरह की ट्रेन बनाई जा सके.”

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