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नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्रिमंडल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) ने मंत्री पद ठुकरा कर एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में भावी समीकरणों को लेकर अटकलों का दौर शुरू कर दिया है. मंत्रिमंडल में अजीत गुट से प्रफुल्ल पटेल को स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाने का ऑफर था. लेकिन, उन्होंने ऑफर यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वे पहले कैबिनेट मंत्री रहे हैं और स्वतंत्र प्रभार स्वीकार करना उनके लिए डिमोशन होगा.
माना जा रहा है कि उचित महत्व नहीं मिलने से राजग सहयोगी अजित पवार की पार्टी राकांपा नाराज है. हालांकि, प्रफुल्ल ने राजग में किसी तरह के मतभेद से इनकार किया है. राकांपा नेता पटेल ने कहा कि उनको भाजपा ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का ऑफर दिया था, उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. मैं पहले कैबिनेट मंत्री रह चुका हूं, इसलिए अब अपना पद गिराना नहीं चाहता. ये उनका डिमोशन होगा. प्रफुल्ल यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि आज हमारे पास एक लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन अगले 2-3 महीनों में हमारे पास राज्यसभा में कुल 3 सदस्य होंगे. संसद में सांसदों की संख्या 4 होगी, इसलिए हमने कहा कि हमें एक (कैबिनेट मंत्रालय) सीट दी जानी चाहिए.
अजित पवार ने कहा कि हमें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के बारे में सूचना मिली, लेकिन प्रफुल्ल खुद कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उनके लिए यह पद लेना कठिन था. मतभेद की अटकलें गलत हैं. इसके पहले खबर आई थी कि राकांपा में कैबिनेट मंत्री के पद को लेकर घमासान शुरू हो गया है. सामने आया था कि पार्टी के खाते में एक मंत्री पद गया है, जिसे लेकर दो वरिष्ठ नेताओं प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे के बीच मतभेद शुरू हो गया है. दोनों ही नेताओं ने राकांपा को मिल रहे कैबिनेट मंत्री के पद पर दावा ठोंका है. दोनों में से कोई भी अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है. हालांकि, बाद में राकांपा ने इसे गलत बताया.
शरद गुट के संपर्क में कई नेता
लोकसभा चुनाव के बाद से महाराष्ट्र में कई तरह की हलचल चल रही है. राकांपा शरद पवार गुट की ताकत बढ़ने के बाद अजित गुट के कई नेता उनके संपर्क में बताए जाते हैं. सीनियर पवार काफी सक्रिय हैं और माना जा रहा है कि इसका असर आनेवाले दिनों में देखने को मिलेगा. इसी तरह शिवसेना के दोनों धड़ों को लेकर भी अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में इसी साल चुनाव है और उसके पहले कई नए सियासी समीकरण राज्य की राजनीति में देखने को मिल सकते हैं.