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हर क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध होेंगे तीनों नए आपराधिक कानून

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की हर क्षेत्रीय भाषा में इन कानूनों को उपलब्ध कराया जाएगा. अगर फिर भी किसी के मन में कोई शंका है तो वे उनसे मिल सकते हैं और अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं.

शाह ने कहा कि नए कानूनों के तहत किसी भी मामले में एफआईआर दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक के मामलों में तीन साल में न्याय मिल सकेगा. नए कानूनों में सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य की गई है, इससे न्याय जल्दी मिलेगा और दोष-सिद्धि दर को 90 तक ले जाने में सहायक होगा.

नियंत्रण कक्ष स्थापित नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों व न्यायिक अधिकारियों के मुद्दों को हल करने के लिए दिल्ली स्थित पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के मुख्यालय में एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है.

बिना दिक्कत दर्ज हो रही एफआईआरयूपी डीजीपी

यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि नए कानूनों के तहत बिना किसी दिक्कत के एफआईआर दर्ज हो रही है. पुलिसकर्मियों, जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों को कानूनों से अवगत कराने के लिए थानों में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया.

तीन नए अधिनियम ने संविधान की मूल भावना को मजबूत किया है. ये कानून सुलभ न्याय के लिए मील का पत्थर साबित होंगे. -भजनलाल शर्मा, मुख्यमंत्री, राजस्थान

बुलडोजर न्याय की अनुमति नहीं देगा ‘इंडिया’ खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को दावा किया कि पिछली लोकसभा में 146 सांसदों को निलंबित करने के बाद तीन नए आपराधिक कानून जबरन पारित किए गए थे. उन्होंने कहा कि इंडिया देश की संसदीय प्रणाली में बुलडोजर न्याय को प्रचलित नहीं होने देगा. खरगे ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेता संविधान का आदर करने का खूब दिखावा कर रहे हैं.

वहीं, कर्नाटक सरकार ने सोमवार को नए कानूनों का विरोध किया और कहा कि केंद्र ने उसके सुझावों पर विचार नहीं किया. राज्य के कानून व संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि भाजपा सरकार को इन कानूनों को अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ही लागू करना चाहिए था, न कि अब.

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