बीते एक दशक में लोगों का खर्च बढ़ा, आमदनी और बचत घटी
देशभर में लोगों की शुद्ध बचत में गिरावट और खर्च में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट-2024 से पता चलता है कि पिछले एक दशक में लोगों की शुद्ध बचत घटी है. उधर, कोरोना महामारी के कारण भी लोगों के बचत करने के व्यवहार में परिवर्तन आया है.
आरबीआई की इस रिपोर्ट के मुताबिक बचत कम होने के दो मुख्य कारण है. पहला, अब लोग सोना-चांदी, जमीन, घर और म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे है. दूसरा, लोगों का घरेलू खर्च बढ़ा है, जिसकी वजह से शुद्ध वित्तीय बचत में कमी आई है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की सकल बचत दर में सकल शुद्ध प्रयोज्य आय 29.7 फीसदी थी. इसमें वर्ष 2022-23 में परिवार के प्राथमिक बचतकर्ता की हिस्सेदारी 60.9 प्रतिशत रही है. जबकि वर्ष 2013-22 के बीच का औसत 63.9 प्रतिशत रहा.
बचत में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट रिपोर्ट के मुताबिक, इसी तरह से लोगों के पास शुद्ध वित्तीय बचत में 11.3 प्रतिशत की गिरावट आई है जो 2022-23 में गिरकर 28.9 प्रतिशत रह गई है. जबकि 10 वर्षों का औसत 39.8 प्रतिशत रहा है.
कोरोना के दौरान घरेलू बचत में इजाफा देखने को मिला था. इस दौरान कुल घरेलू बचत 51.7 प्रतिशत तक पहुंच गई लेकिन उसके बाद जैसे ही लॉकडाउन खुला तो लोगों ने अपनी बचत को संपत्तियों के खरीदने पर खर्च करना शुरू कर दिया. साथ ही देनदारियों में भी बढ़ोत्तरी हुई, जिससे नकदी के रूप में बचत गिरती चली गई.
कर्ज लेने की प्रवृत्ति बढ़ी
कोरोना के बाद से लोग बचत को बैंक खातों में एफडी व अन्य रूप में रखने से बच रहे हैं. वहीं, संपत्तियों को खरीदने के लिए कर्ज लेने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं. यही कारण है कि कृषि और व्यावसायिक लोन में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. भारत की जीडीपी का 40 फीसदी घरेलू उधार हो गया है, जो दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों में इंडोनेशिया, मैक्सिको, पौलेंड और ब्राजिल से अधिक है.
जीडीपी में वित्तीय बचत की हिस्सेदारी कम हुई
लगातार खर्चों में हो रही बढ़ोत्तरी के चलते शुद्ध रूप से वित्तीय बचत में गिरावट आई है. 10 वर्ष के औसत के हिसाब से देखा जाए तो जीडीपी में शुद्ध बचत की हिस्सेदारी 2.7 फीसदी कम हो गई है. एक दशक पहले के आठ फीसदी से घटकर यह 2022-23 में 5.3 फीसदी पर आ गई.
लोगों को शेयर बाजार से मिल रहा अच्छा रिटर्न
रिपोर्ट बताती है कि लोगों को शेयर बाजार से अच्छा रिटर्न मिल रहा है जो किसी भी बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले ब्याज से कहीं ज्यादा है. सामान्य तौर पर बैंकों में सात से आठ प्रतिशत का सालाना रिटर्न मिल रहा है, लेकिन शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को तगड़ा रिटर्न मिला है.