केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचने वाली कंपनियों पर सख्त रुख अख्तियार किया है. सरकार का कहना है कि वॉरंटी के नाम पर उपभोक्ताओं को धोखा देने की कोशिश न की जाए. सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियां वॉरंटी को लेकर ग्राहकों को साफ-साफ जानकारी मुहैया करवाएं.
कंपनियां उत्पाद खरीदने वालों को उत्पाद की वॉरंटी अवधि के बारे में सही जानकारी उपलब्ध कराएं. केंद्र सरकार ने कहा कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद की वॉरंटी उसकी बिक्री की तारीख से होती है न कि उत्पाद निर्माण की तारीख से. इस तरह की शर्त रखने उत्पाद की वॉरंटी कम हो जाती है.
रिपोर्ट की मानें, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(9) के तहत ग्राहक को किसी भी उत्पाद की सर्विस, गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में बिक्री से पहले सूचना पाने का अधिकार है. अक्सर उपभोक्ता को उत्पाद की वॉरंटी के बारे में काफी घुमा-फिराकर बताया जाता है. सामान पर 5 से 10 साल की वॉरंटी की बात कही जाती है जबकि उसके विवरणों का बारीकी से अध्ययन करने पर असली वारंटी काफी कम समय की होती है. उसमें भी तमाम तरह की शर्तें भी जोड़ी गई होती हैं. या फिर वारंटी किसी एक पुर्जे पर ही होती है जिसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है.
भ्रामक विज्ञापन देने वालों पर सख्ती की तैयारी
केंद्र सरकार जल्द ही उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए 125-दिवसीय योजना के तहत आईएएस कोचिंग संस्थानों के लिए भ्रामक विज्ञापनों, सरोगेट विज्ञापनों, ग्रीनवाशिंग और अनचाहे कॉल पर दिशा-निर्देश जारी करेगी. भ्रामक विज्ञापनों और लोगों को खरीदारी के लिए लुभाने वाली अनैतिक भ्रामक प्रथाओं के माध्यम से उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के बढ़ते मामलों के कारण यह कदम उठाया जाएगा. मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा, हम उपभोक्ता से संबंधित अधिकांश मुद्दों के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहे हैं. मसौदा नियमों के अनुसार, सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थानों को उनकी सहमति के बिना अपने विज्ञापनों में टॉपर्स के व्यक्तिगत विवरण का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी. ये दिशा-निर्देश भ्रामक और भ्रामक व्यापार प्रथाओं पर लगाम लगाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा हैं.