राष्ट्रीय

महिलाओं को वास्तविक सशक्तीकरण के लिए बढ़ाएं

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी. बी. नागरत्ना ने बुधवार को कहा कि भारतीय महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा के साथ-साथ उनके निवास की सुरक्षा की भी रक्षा की जानी चाहिए और उन्हें उनके वास्तविक सशक्तीकरण के लिए बढ़ाया जाना चाहिए.

उन्होंने न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के एक अलग लेकिन सहमति वाले फैसले को सुनाते हुए यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने 45 पृष्ठ के फैसले में कहा कि भारतीय महिलाओं की ‘वित्तीय सुरक्षा’ के साथ-साथ ‘निवास की सुरक्षा’ की भी रक्षा की जानी चाहिए. इससे ऐसी भारतीय महिलाओं को वास्तव में सशक्त बनाया जा सकेगा, जिन्हें ‘गृहिणी’ कहा जाता है. यह कहने की जरूरत नहीं है कि एक स्थिर परिवार, जो भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ और सुरक्षित है, समाज को स्थिरता देता है क्योंकि परिवार के भीतर ही जीवन के अनमोल मूल्य सीखे और बनाए जाते हैं.

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि भारत में अधिकांश विवाहित पुरुष इस बात का एहसास नहीं करते हैं कि गृहिणियों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है जब खर्च के लिए किए गए किसी भी अनुरोध को पति या उसके परिवार द्वारा ठुकरा दिया जाता है. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि एक भारतीय विवाहित पुरुष को अपनी पत्नी को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना होगा.

तलाकशुदा महिलाओं के पास कानूनों का विकल्प

धारा-125 सभी गैर-मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं पर लागू होती है. धारा मुस्लिम महिलाओं पर लागू होती है, जो विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाहित और तलाकशुदा हैं. अगर महिलाएं मुस्लिम कानून के तहत विवाहिततलाकशुदा हैं, तो 1986 के अधिनियम के प्रावधान भी लागू होते हैं.

खाते-एटीएम खोलकर पत्नी को सशक्त बनाएं अदालत ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि भारतीय पुरुष ‘गृहणियों’ की भूमिका और त्याग को पहचानें, जो भारतीय परिवार की ताकत और रीढ़ हैं और उन्हें संयुक्त खाते और एटीएम खोलकर अपनी पत्नी को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए.

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